पूजा

नवरात्रों में करें गणेशजी के इस मंत्र का स्मरण, तुरंत बनेंगे सारे काम

यदि नवरात्रि के दिनों में आने वाले बुधवार को गणेशजी के तांत्रिक मंत्र जपें तो सभी समस्याएं कुछ ही क्षणों में दूर हो जाती हैं

Oct 13, 2015 / 06:52 pm

सुनील शर्मा

ganpati bappa mourya

बुधवार को गणेश जी की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म के मुताबिक भगवान गणेश जी को सिद्धि और मंगलकारी शक्तियों का स्वरूप माना जाता है। इसीलिए हर शुभ काम की शुरूआत भगवान गणेश जी की आरती के साथ की जाती है। बुधवार के दिन गणेश जी की उपासना करने से सुखी सांसारिक जीवन की मनोकामना पूरी होती है।

ऐसे में यदि नवरात्रि के दिनों में आने वाले बुधवार को उनका मंत्र जपें तो सभी समस्याएं कुछ ही क्षणों में दूर हो जाती हैं। आज के भागदौड़ भरे जीवन या फिर महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की कवायद में कई धार्मिक आस्था रखने वाले लोग देव स्मरण चाहकर भी नहीं कर पाते। इसलिए यहां बताया जा रहा है श्रीगणेश पूजा का चंद मिनटों का उपाय, जिसे खासतौर पर जल्द सुख-सफलता की आस रखने वाले ऎसे लोग समय की कमी होने पर भी अपना सकते हैं।

कैसे करें नवरात्रों में गणेशजी की पूजा

विघ्नहर्ता गणेश पूजा का यह उपाय जीवन में आने वाली अनचाही परेशानियों से बचाने वाला भी माना गया है। भगवान श्रीगणेश की उपासना के लिए बुधवार का बहुत महत्व है। इसलिए जल्द और लगातार सफलता के लिए भगवान गणेशजी का स्मरण करें। सुबह स्नान के बाद देवालय या भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या फिर तस्वीर के सामने यह मंत्र बोल कर धूप या अगरबत्ती लगाएं –

वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तम:। आघ्रेय सर्वदेवानां धूपो यं प्रतिगृह्यताम।।

धूप या अगरबत्ती से आरती कर व लड्डू का भोग लगा इस मंत्र से गणेशजी का ध्यान कर लें

अभीप्सितार्थसिद्धयथंü पूजितो य: सुरासुरै:। सर्वविघ्रहरस्तस्मै गणाधिपतये नमो नम:।।

इसके बाद भगवान श्रीगणेश को प्रणाम कर दिन और काम बिन बाधा पूरा होने की कामना करें। यह उपाय आप कार्यस्थल पर भी पवित्रता का ध्यान रखते हुए अपना सकते हैं।

जानिए गणेश जी की उपासना का विशेष मंत्र

यदि आप तांत्रिक मंत्रों का आश्रय नहीं लेना चाहते हैं तो इसके लिए वेदो में एक मन्त्र भी बताया गया है।

ऊं गणानां त्वा गणपति(गुँ) हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति(गुँ) हवामहे, निधीनां त्वा निधिपति(गुँ) हवामहे व्वसो मम।

बुधवार को सुबह या शाम के वक्त इस मंत्र का ध्यान गणेश जी को सिंदूर, अक्षत, दूर्वा चढ़ाकर व यथाशक्ति लड्डूओं का भोग लगाकर कार्यसिद्धि की कामनाओं के साथ करें व धूप व दीप आरती करें। इस मन्त्र में भगवान गणेश जी और ऋद्धि-सिद्धि का स्मरण है, जिससे जीवन में अपार सुख-समृद्धि आती है।

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