scriptगणेश संकष्ट चतुर्थी व्रत 27 जनवरी को, ऐसे करें गणपति की पूजा | How to worship Lord Ganpati Ganesha on Sankat Chaturthi | Patrika News

गणेश संकष्ट चतुर्थी व्रत 27 जनवरी को, ऐसे करें गणपति की पूजा

Published: Jan 26, 2016 01:11:00 pm

महिलाएं अखंड़ सुहाग की कामना से बुधवार को माघ कृष्णा संकष्ट चतुर्थी
(तिलकुटा चौथ) का व्रत करेंगी। इस बार यह व्रत तृतीया युक्त चतुर्थी में
मनाया जाएगा

bhagwan bholenath ganesh parvati

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महिलाएं अखंड़ सुहाग की कामना से बुधवार को माघ कृष्णा संकष्ट चतुर्थी (तिलकुटा चौथ) का व्रत करेंगी। इस बार यह व्रत तृतीया युक्त चतुर्थी में मनाया जाएगा। ज्योतिषों के अनुसार इस दिन सुबह 9.56 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी, इसके उपरान्त चंद्रोदय के समय चतुर्थी होने से इसी दिन महिलाएं चौथ का व्रत करेंगी। महिलाएं चौथ माता की पूजा कर तिल से बनी हुई सामग्री तिलकुटा, रेवड़ी, गजक आदि का भोग लगाएंगी। ज्योतिषाचार्य चंद्रमोहन दाधीच के अनुसार शहर में चंद्रोदय रात्रि 9.10 बजे होगा।

संकट चतुर्थी को गणपति की पूजा से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

ज्योतिषियों के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन विध्नहर्ता की पूजा-अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते हैं। माघ माह के कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन को संकट चौथ, माघी चतुर्थी, संकटहर चतुर्थी आदि के नामों से भी जाना जाता है। इस तिथि समय रात्रि को चंद्र उदय होने के पश्चात चंद्र उदित होने के बाद भोजन करें तो अति उत्तम रहता है तथा रात में चन्द्र को अध्र्य देते हैं। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीगणेश कई रूपों में अवतार लेकर प्राणीजनों के दुखों को दूर करते हैं।

हिंदू धर्म में है गणेश रूप का विशेष महत्व

गणेश मंगलमूर्ति हैं, सभी देवों में सबसे पहले गणेश का पूजन किया जाता है, क्योंकि वे शुभता के प्रतीक हैं। पंचतत्वों में गणेश को जल का स्थान दिया गया है। बिना गणेश का पूजन किए बिना कोई भी इच्छा पूरी नहीं होती है। विनायक भगवान का ही एक नाम अष्टविनायक भी है। इनका पूजन व दर्शन का विशेष महत्व है। इनके अस्त्रों में अंकुश एवं पाश हैं, चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक उनकी चार भुजाएं हैं, उनका लंबोदर रूप समस्त सृष्टि उनके उदर में विचरती है का भाव है। बड़े-बड़े कान अधिक ग्राह्यशक्ति का तथा आंखें सूक्ष्म तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं, उनकी लंबी सूंड महाबुद्धित्व का प्रतीक है।

गणेश संकट चौथ व्रत का महत्व

गणेश चतुर्थी का उपवास जो भी भक्त संपूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करता है, उसे बुद्धि और ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होने के साथ-साथ जीवन में आने वाली विध्न बाधाओं का भी नाश होता है। सभी तिथियों में चतुर्थी तिथि श्री गणेश को अधिक प्रिय होती है।

गणेश संकट चतुर्थी पूजन

संतान की कुशलता की कामना व लंबी आयु हेतु भगवान गणेश और माता पार्वती की विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। व्रत का आरंभ तारों की छांव में करना चाहिए। व्रतधारी को पूरा दिन अन्न, जल ग्रहण किए बिना मंदिरों में पूजा अर्चना करनी चाहिए और बच्चों की दीर्घायु के लिए कामना करनी चाहिए। इसके बाद संध्या समय पूजा की तैयारी के लिए गुड़, तिल, गन्ने और मूली का उपयोग करना चाहिए।

व्रत में यह सामग्री विशेष महत्व रखती है, देर शाम चंद्रोदय के समय व्रतधारी को तिल, गुड़ आदि का अघ्र्य देकर भगवान चन्द्र देव से व्रत की सफलता की कामना करनी चाहिए। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का व्रत लोक प्रचलित भाषा में इसे सकट चौथ कहा जाता है। इस दिन संकट हरण गणेशजी तथा चंद्रमा का पूजन किया जाता है, यह व्रत संकटों तथा दुखों को दूर करने वाला तथा सभी इच्छाएं व मनोकामनाएं पूरी करने वाला है। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती हैं। गणेश की पूजा की जाती है और कथा सुनने के बाद चंद्रमा को अध्र्य देकर ही व्रत खोला जाता है।


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