नवमी रिक्ता संज्ञक तिथि दोपहर बाद १.३२ तक, इसके बाद दशमी पूर्णा संज्ञक तिथि है। नवमी रिक्ता संज्ञक तिथि में शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं रहते पर आखेट, मद्य, जुआ, विग्रह, क्लेेश, अग्निविषादिक असद् कार्य सिद्ध होते हैं। दशमी तिथि में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। नक्षत्र: भरणी ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र प्रात: ७.३० तक, इसके बाद अंतरात्रि ६.०३ तक कृतिका ‘मिश्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। दोनों ही नक्षत्रों में विवाहादि समस्त शुभ व मांगलिक कार्य वर्जत हैं। पर साहसिक, उग्र, अग्निविषादिक कार्य, शत्रुमर्दन व वृषोत्सर्ग आदि कार्य विशेष रूप से सिद्ध होते हैं। योग: शुक्ल नामक योग रात्रि १.३० तक, इसके बाद ब्रह्म नामक योग है। दोनों ही नैसर्गिक शुभ योग है। विशिष्ट योग: दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग प्रात: ७.३० बजे से प्रारंभ तथा कुमार योग नामक शुभ योग व यमघंट नामक अशुभ योग अंतरात्रि ६.०३ से सूर्योदय तक है। करण: कौलव नामकरण दोपहर बाद १.३२ तक, इसके बाद तैतिलादि करण हैं।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से पूर्वाह्न ११.१९ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत, दोपहर १२.३९ से दोपहर बाद १.५९ तक शुभ तथा सायं ४.३९ से सूर्यास्त तक चर के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१८ से दोपहर १.०० बजे तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारंभ के लिए अत्युत्तम हैं। शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है।
व्रतोत्सव: गुप्त नवरात्रा समाप्त, महानन्दा नवमी, श्री हरि जयंती व भारतीय गणतंत्र दिवस है। चन्द्रमा: चन्द्रमा दोपहर बाद १.१२ तक मेष राशि में, इसके बाद वृष राशि में रहेगा। दिशाशूल: शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज दोपहर बाद १.१२ तक पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है। राहुकाल: प्रात: १०.३० से दोपहर १२.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।