त्रयोदशी जया संज्ञक तिथि अंतरात्रि १.५३ तक, इसके बाद चतुर्दशी रिक्ता संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। त्रयोदशी तिथि में यथा आवश्यक यात्रा, प्रवेश, वस्त्रालंकार तथा जनेऊ को छोडक़र अन्य मांगलिक कार्यादि शुभ होते हैं। पर चतुर्थी तिथि में अग्निविषादिक असद् कार्य और शस्त्र आदि दूषित कार्य सिद्ध होते हैं। क्षौर व यात्रा वर्जित है। नक्षत्र: आद्र्रा ‘तीक्ष्ण व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र रात्रि ११.०४ तक, इसके बाद पुनर्वसु ‘चर व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। आद्र्रा नक्षत्र में लड़ाई, बंधन, छेदन, मारण, विष, अग्नि, विद्यादि कार्य प्रशस्त हैं। मांगलिक कार्य वर्जित हैं। पुनर्वसु नक्षत्र में यथा आवश्यक शांति, पुष्टता, गमन, अलंकार व घर सम्बंधी कार्य करने योग्य हैं। योग: वैधृति नामक अत्यंत दुद्र्धर्ष व बाधाकारक योग दोपहर बाद २.३६ तक, इसके बाद विष्कुंभ नामक नैसर्गिक अशुभ योग है। वैधृति नामक योग में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य सर्वथा वर्जित हैं। विशिष्ट योग: दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग रात्रि ११.०४ से है, जो शुभकार्यारम्भ के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। करण: कौलव नामकरण अपराह्न ३.३६ तक, इसके बाद गरादि करण हैं।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से प्रात: ८.३८ तक अमृत, प्रात: ९.५९ से पूर्वाह्न ११.१९ तक शुभ तथा दोपहर बाद २.०० बजे से सूर्यास्त तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१८ से दोपहर १.०१ बजे तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारंभ के लिए अत्युत्तम हैं। शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है।
व्रतोत्सव: आज सोम प्रदोष व्रत, विश्वकर्मा जयंती, कल्पादि, गुरु गोरखनाथ जयंती, मेला पावन धाम पंच खण्डेश्वर पीठ विराटनगर (जयपुर), गुरु हरिराय जयंती (प्राचीन मत से), डेझर्ट उत्सव मेला प्रारम्भ तीन दिन का जैसलमेर (राज. में)। चन्द्रमा: चन्द्रमा सम्पूर्ण दिवारात्रि मिथुन राशि में है। ग्रह उदयास्त: प्रात: ८.२७ पर बुध पूर्व में अस्त होगा। दिशाशूल: सोमवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज पश्चिम दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है। राहुकाल: प्रात: ७.३० से ९.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।