तृतीया जया संज्ञक तिथि प्रात: १०.३६ तक, तदुपरान्त चतुर्थी रिक्ता संज्ञक तिथि है। तृतीया तिथि में संगीत, वाद्य-कलादि कार्य शिक्षा, अन्नप्राशन, उपनयन, गृहप्रवेश आदि से सम्बंधित कार्य प्रशस्त हैं। चतुर्थी रिक्ता तिथि में उग्र, क्रूर, अग्निविषादिक कार्य सिद्ध होते हैं। शुभ कार्य वर्जित हैं। नक्षत्र: पूर्वा फाल्गुनी ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र पूर्वाह्न ११.२४ तक, इसके बाद उत्तरा फाल्गुनी ‘ध्रुव व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में उग्र, अग्नि, विष, बंधन और कठिन व कलादि कार्य सिद्ध होते हैं। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र यथा आवश्यक समस्त शुभ व मांगलिक कार्य करने चाहिए। योग: अतिगंड नामक नैसर्गिक अशुभ योग, तदन्तर सुकर्मा नामक नैसर्गिक शुभयोग है। ग्रह उदयास्त: आज प्रात: ७.३० से शुक्र पश्चिम में उदय होंगे। करण: भद्रा संज्ञक विष्टि नामकरण प्रात: १०.३६ तक, इसके बाद बवादि करण प्रारंभ हो जाएंगे। भद्रा में शुभ कार्य यथासंभव वर्जित रखें।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज प्रात: ८.३७ से ९.५८ तक शुभ तथा दोपहर १२.४१ से सायं ४.४४ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१९ से दोपहर १.०२ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभ कार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज यथा आवश्यक विपणि-व्यापारारम्भ का भद्रा बाद मुहूर्त है। अन्य किसी शुभ व मंगल कृत्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है।
व्रतोत्सव: आज गाडगे महाराज जयंती, चतुर्थी व्रत (चंद्रोदय जयपुर में रात्रि ९.१६ पर)। चन्द्रमा: चन्द्रमा सायं ५.०६ तक सिंह राशि में, इसके बाद कन्या राशि में रहेगा। ग्रह राशि-नक्षत्र परिवर्तन: आज प्रात: ८.३१ पर बुध श्रवण नक्षत्र में प्रवेश करेगा। दिशाशूल: शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल है। पर आज सायं ५.०६ तक सिंह राशि के चंद्रमा का वास पूर्व दिशा में रहेगा। इसके बाद कन्या राशि के चंद्रमा का वास दक्षिण दिशा में है। यात्रा में सम्मुख धन लाभ कराने वाला माना गया है। राहुकाल: प्रात: ९.०० से १०.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।