एकादशी नन्दा संज्ञक तिथि सायं ५.२५ तक, उसके बाद द्वादशी भद्रा संज्ञक तिथि है। एकादशी तिथि में यथा आवश्यक विवाहादि समस्त शुभ व मांगलिक कार्य यथा- यज्ञोपवीत, देवकार्य, देवोत्सव, गृहारम्भ, प्रवेश, यात्रा, चित्रकारी और व्रतोपवास आदि कार्य शुभ कहे गए हैं। मूल ‘तीक्ष्ण व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र रात्रि १०.५९ तक, इसके बाद पूर्वाषाढ़ा ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। मूल नक्षत्र में यथा आवश्यक वन, बाग-बगीचा, कुआं, बावरी आदि खनन, कृषि कार्य, पुंसवन, जलपूजन, यज्ञोपवीत, द्विरागमन, हलप्रवहण, वास्तुशांति और विवाहादि सम्बंधी समस्त कार्य करने योग्य हैं।
श्रेष्ठ चौघडि़ए :
आज प्रात: ८.३३ से दोपहर १२.४१ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद २.०४ से अपराह्न ३.२६ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१९ से दोपहर १.०३ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभ कार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। चंद्रमा: संपूर्ण दिवारात्रि धनु राशि में है। विशिष्ट योग: सूर्योदय से रात्रि १०.५९ तक सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग, तदन्तर अगले दिन सूर्योदय तक राजयोग नामक शुभ योग है। वारकृत्य कार्य : रविवार को सभी स्थिर कार्य, पदारूढ़, ललित कला, यान यात्रा, पशु क्रय, औषध, जड़ी-बूंटी संग्रह, धातु कार्य, राज्यसेवा तथा यज्ञादि मंत्रोपदेश आदि कार्य प्रशस्त हैं। दिशाशूल : रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर सूर्य स्थिति के अनुसार आज पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है।
राहुकाल :
सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।