खंड एक : संचार कौशल सहित अंतर्वैयक्तिक कौशल
यह खंड एक प्रशासनिक अधिकारी की अंतर्वैयक्तिक कौशल तथा संचार संबंधी विशेषताओं पर आधारित है। यही विषय पर्सनालिटि डेवलपमेंट के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां अंतर्वैयक्ति कौशल, संप्रेषण कौशल, संचार जाल, संचार माध्यम, बाधाएं व जनसंपर्क पढऩा होता है। इस खंड से १० से १२ प्रश्न पूछे जाते है। इसे अरिहंत, टीएमएच या एमबीए प्रथम सेमेस्टर की बेसिक कम्यूनिकेशन पुस्तक से पढ़ सकते है। यह निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें –
(अ) अंतक्र्रिया कौशल, संप्रेषण, प्रत्यक्ष, जनसामान्य व सामाजिक कौशल
(ब) संचार – मौखिक व लिखित संचार, गैर मौखिक संचार (शारीरिक भाषा, चेहरे, आंखें व सिर की गतिविधियां), शरीरिक मुद्रा संकुचन (समीप जाना, वापसी, विस्तार, संकुचन, मौन), अंतराल अवस्था (अंतरंग, निजी, सामाजिक व सार्वजनिक क्षेत्र), प्रवाह (अधोसंचार, उध्र्वसंचार, समस्तरीय संचार), संचार जाल (औपचारिकता, शृंखला, सितारा, वृत्त व सर्वमार्ग जाल), तत्व (सूचना, प्रेषक माध्यम, प्राप्तकर्ता, प्रतिउत्तर), प्रक्रिया (सूचना, एंकोडिंग, माध्यम, डीकोडिंग, प्रतिपुष्टी), बाधाएं (भाषा, तकनीकी, स्थानीय, भावात्मक, लैंगिक, अंतर्वैयक्तिक, भौतिक, व्याख्या, अवधारणाएं, बाधाएं)।
(स) संप्रेषण – सीधे संचार व्यवस्था से जुडे़ तत्व (अभिप्रेरणा, नेतृत्व, नियंत्रण, सत्ता, समन्वय, आदेश, अनुशासन, निरीक्षण, परिवेक्षण), तरीके (आक्रमण, निष्क्रीय, आक्रमक, मुत्वर से संप्रेषण), सुधार उपाय (प्रतिपुष्टी, प्रोत्साहन, प्रभावी श्रवण, संप्रेषणात्मक भयमुक्ति)।
(द) जनसंपर्क – परिभाषा, विशेषता, माध्यम, साधन (श्रव्य, दृश्य, श्रृव्य-दृश्य साधन), समस्याएं, शासकीय संगठनों की आंतरिक संरचना व संप्रेषण
खंड दो: तार्किक तर्क एवं विश्लेषणात्मक योग्यता
यह भाग पूर्णत: आपकी तार्किक, विश्लेषणात्मक तथा पुर्वानुमान की क्षमता पर निर्भर है। साथ ही प्रश्न-पत्र द्वितीय का सबसे कठिन टॉपिक भी है, लेकिन सामान्य सावधानी रख कर प्रश्नों को हल करने से उत्तर प्राप्त किए जा सकते हैं। इसमें १२ से १५ प्रश्न पूछे जाते हैं। इससे संबंधित पांच प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं जैसे –
(अ) तर्क पर आधारित – यहां मजबूत तर्क ढूंढना होता है। अत: किसी प्रकार की राय या परामर्श, केवल शब्द का प्रयोग तथा कथन से अलग कोई तर्क कमजोर माना जाएगा, साथ ही किसी तर्क में किसी अन्य से तुलना की जाए तो वह कमजोर तर्क होगा।
(ब) पूर्वधारणा पर आधारित – इसे तर्क ढूंढकर हल करें। कथन के लिए क्या तर्क होंगे वह तलाशें तथा विरोधी, भिन्न व मात्र शब्द प्रयुक्त पूर्वधारणा को कमजोर मानें।
(स) निष्कर्ष पर आधारित – यहां कथन के संभावित निष्कर्ष ढूंढने हंै। सरकारी योजना, नीति, शासकीय कार्य तथा कथन के पक्ष के निष्कर्ष सदैव मजबूत निष्कर्ष होंगे।
(द) कार्यवाही पर आधारित – यह प्रशासनिक अधिकारी के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। प्रश्न के उत्तर तलाशने में यह याद रखें कि बात सदैव सत्य है। कार्यवाही का चुनाव भारतीय परिदृश्य व जागरुकता स्तर पर लें। कठोर या अव्यवहारिक कार्यवाही गलत होंगी।
(क) कारण व प्रभाव पर आधारित – इसमें दो कथन होंगे। एक कारण व एक उसका प्रभाव, अत: इसे क्रम में जमाकर हल करें। हालांकि इस तरह के प्रश्न एमपीएससी में कम पूछे जाते हंै।
खंड तृतीय : हिन्दी
यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण खंड है। यहां से तय बीस प्रश्न पूछते जाते है तथा इनकी प्रकृति सरल होती है। यह खंड अपठित गद्यांश तथा व्याकरण का मिश्रण होता है। यहां ३ से ५ अपठित गद्यांश पूछे जाएंगे तथा उसमें व्याकरण के प्रश्न भी होंगे। इस खंड को सबसे पहले हल कर लें ताकि आप सुरक्षित क्षेत्र में रहें। हिंदी को लूसेंट हिंदी, वासुदेव नंदन या मप्र बोर्ड की १०वीं की पुस्तक से पढ़ सकते हंै। इसे दो भाग में बांट सकते है –
(अ) अपठित गद्यांश – यह बोधगम्यता खंड से कुछ अलग प्रकृति के होते हैं। इसमें प्रश्नों के उत्तर सीधे उदाहरण से प्राप्त कर पाएंगे। इसके लिए अरिहंत या इंटसेट की सहायता लें तथा इन आधार पर तैयारी करें –
– उदाहरण को सीधा पढऩा शुरू करें।
– महत्वपूर्ण शब्दों व बिंदुओं को रेखांकित करें।
– प्रश्न पढक़र सीधे उत्तर प्राप्त हो जाएंगे।
– शीर्षक उदाहरण की प्रथम या अंतिम पंक्ति में मिलेगा।
– विषयवस्तु या केंद्रीय विषय पूछा जाए तो वह उदाहरण के मध्य भाग में शब्दांश मिलेगा।
– उदाहरण धीरे-धीरे पढें़ और याद रहे हिंदी खंड में प्रश्न दोनों पृष्ठों पर अलग-अलग होते हंै। अत: अगले पृष्ठ के प्रश्नों को हल करना भूले नहीं।
– कोशिश करें कि हिंदी का भाग सबसे पहले हल करें।
(ब) व्याकरण – हिंदी में व्याकरण सरल पूछी जाती है तथा पिछले वर्षों के पेपर के अनुसार लगभग प्रत्येक खंड से प्रश्न पूछे जा चुके हैं। परंतु संधि व समास से प्रत्येक बार प्रश्न आए हंै। अत: इनमें ज्यादा ध्यान दें। इसके साथ ही इन बिंदुओं पर भी ध्यान दें –
– संधि (तीनों संधियों के नियम)
– समास (द्वांद्व, बहुब्रीहि व कर्मधाराय समास पर ज्यादा ध्यान दें)
– सर्वनाम, संज्ञा, विशेषण व क्रिया के प्रकार।
– शब्द (रचना, उत्पत्ती आदि आधार पर)
– वाक्य (रचना व अर्थ के आधार पर)
– उपसर्ग व प्रत्यय।