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छिंदवाड़ा

Water crisis: जलसंरक्षण की राह पर लोकसभा चुनाव का ब्रेकर, न योजना बनी न अमल हुआ

– लोकसभा चुनाव के चलते गांव-शहर में नहीं चला जल संरक्षण अभियान
– तालाब निर्माण, बोरी बंधान, कुओं की सफाई और हैंडपंप सुधार के लिए आगे नहीं आया प्रशासन

छिंदवाड़ाMay 04, 2024 / 11:48 am

prabha shankar

water conservation campaign

water conservation campaign

Water Conservation Campaign। लोकसभा चुनाव के चलते इस साल गर्मी में गांवों और शहरों में कहीं भी पेयजल के संरक्षण-संवर्धन के लिए अभियान नहीं चला। कहीं भी तालाब निर्माण, बोरी बंधान, कुओं की सफाई और हैंडपंप सुधार करने कोई प्रयास किए गए। यहां तक कि पीएचई विभाग में भी पेयजल शिकायत निवारण प्रकोष्ठ नहीं बना। छिंदवाड़ा/पांढुर्ना जिले में 785 पंचायतें और 17 नगरीय निकाय हैं, जहां 23.74 लाख आबादी निवासरत है। इस आबादी में मूलभूत आवश्यकता पेयजल है। छिंदवाड़ा समेत अन्य शहरी इलाकों में पेयजल की उपलब्धता है, लेकिन परासिया, जुन्नारदेव, सौंसर, पांढुर्ना, बिछुआ और अमरवाड़ा विकासखण्ड के कई ग्रामों में पेयजल संकट बनता रहा है। ग्रामीण आबादी दो किमी दूर से पेयजल लाती रही है। मई-जून में पेयजल किल्लत की शिकायत आम है। जहां स्थानीय पेयजल स्रोत नदी-नाले में बोरी बंधान, कुएं की सफाई जैसे काम स्थानीय पंचायतों से कराए जा सकते हैं। इसके साथ ही भूमिगत जल की रिचार्जिंग भी संभव है।

जलाभिषेक अभियान की नहीं आई गाइडलाइन

आम तौर पर हर साल मार्च में ही जलाभिषेक अभियान की सरकारी गाइड लाइन आ जाती है। इस बार लोकसभा चुनाव में पूरी सरकार और शासन-प्रशासन की व्यस्तता के चलते गाइडलाइन जारी नहीं हो सकी। प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारी भी इसे स्वीकार रहे हैं। जनपद पंचायत छिंदवाड़ा के पंचायत इंस्पेक्टर दिलीप नुन्हारिया के अनुसार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते इस बार जल संरक्षण अभियान की गाइडलाइन नहीं आई है। छह जून के बाद इसका इंतजार रहेगा।

पीएचई में नहीं बना शिकायत निवारण प्रकोष्ठ

ग्रामीण अंचलों में पेयजल की शिकायतों के निवारण के लिए पीएचई विभाग में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनाने का भी नियम है। इस बार मई की इस गर्मी में ऐसी कोई तैयारी दिखाई नहीं दे रही है। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया है। इसके साथ ही शिकायती नंबर भी जारी नहीं किए गए हैं।

चुनावी तैयारी में चले गए मार्च-अप्रेल माह

जल संरक्षण अभियान की शुरुआत मार्च-अप्रेल में करने का नियम है। इस बार लोकसभा चुनाव के चलते पूरा प्रशासन व्यस्त रहा। इसके चलते कोई तैयारी नहीं हो सकी। अब मतदान तिथि से मतगणना तिथि चार जून तक डेढ़ माह का समय है। इस समय का उपयोग किया जा सकता है।

प्रशासन चाहे तो स्थानीय स्तर पर प्रबंधन संभव

छिंदवाड़ा में लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद प्रशासनिक गतिविधियां पटरी पर लौट रही हैं। ऐसे में प्रशासन से इस पर ध्यान देने की अपेक्षा की जा रही है। इस अभियान में नए तालाब निर्माण के भूमिपूजन, नदी-नालों में बोरी बंधान, भूमिगत जल रिचार्ज, कुंओं की सफाई, वाटर हार्वेस्टिंग और हैंडपंप सुधार जैसे काम कराए जा सकते हैं। इससे बारिश में पानी का प्रबंधन होता है।
इनका कहना है
गांवों में कहीं पुराने हैंडपंप की मरम्मत, कुएं की सफाई तो कराई जा सकती है लेकिन पेयजल से संबंधित नए कार्य के लिए लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने का इंतजार करना होगा। तब ये कार्य कराए जा सकेंगे।
-पार्थ जैसवाल, सीइओ जिला पंचायत।

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