scriptपहाड़ में पानी के स्त्रोत नहीं होने से सूख रहे थे पौधे तो बच्चोंं ने चढ़ाई ड्रिप, बंूद-बूंद पानी से मिल रहा जीवन | Plants were drying up due to lack of water source in the mountain | Patrika News
कोरबा

पहाड़ में पानी के स्त्रोत नहीं होने से सूख रहे थे पौधे तो बच्चोंं ने चढ़ाई ड्रिप, बंूद-बूंद पानी से मिल रहा जीवन

कोरबा. स्कूलों में पौधरोपण करते हुए बच्चे और सामान्य तौर पर पानी देने की तस्वीरें तो आपने खूब देखी होगी, लेकिन पहाड़ी अंचल में एक ऐसा भी स्कूल है जहां पौधों को बोतल से ड्रिप चढ़ाकर पानी दिया जाता है, ताकि पौधों को दिनभर पानी मिल सके।

कोरबाMar 27, 2022 / 12:53 pm

AKASH SHRIVASTAV

पहाड़ में पानी के स्त्रोत नहीं होने से सूख रहे थे पौधे तो बच्चोंं ने चढ़ाई ड्रिप, बंूद-बूंद पानी से मिल रहा जीवन

पहाड़ में पानी के स्त्रोत नहीं होने से सूख रहे थे पौधे तो बच्चोंं ने चढ़ाई ड्रिप, बंूद-बूंद पानी से मिल रहा जीवन

ये नवाचार कोरबा विकासखंड के ग्राम गढ़कटरा में संचालित प्राथमिक शाला में की जा रही है। धीरे-धीरे तापमान बढऩे लगा है। विशेषकर पहाड़ी अंचल में गर्मी अधिक पडऩे लगी है। स्कूल में एक हैंडपंप भी है, लेकिन गर्मी आते ही स्त्रोत कम होने लगता है। इतना पर्याप्त पानी भी नहीं मिलता कि सभी पौधों को दिन में दो-तीन बाल्टी पानी दिया जा सके। गांव के दूसरे हैंडपंप से कई बार पानी देने की कोशिश की गई, लेकिन ये नियमित तौर पर नहीं होने से पौधों के सूखने का डर था। लिहाजा बच्चों ने एक नई तरकीब लगाई। हर एक पौधे की जिम्मेदारी तीन बच्चों को दी गई है। बच्चों का यह समूह अब हर दिन में चार से पांच बार बोतल में पानी भरकर पौधों को ड्रिप चढ़ा रहे हैं। इस तरह पौधों को दिनभर कड़ी धूप में पानी मिल रहा है। बच्चों ने बताया कि गर्मी की छुट्टियों में भी वे नियमित तौर पर इसे जारी रखेंगे।

नमी रहती है बरकरार, कम खपत से अधिक देखभाल
जिले में नवाचार के लिए यह स्कूल अब प्रेरणा बन गया है। शिक्षक श्रीकांत ने बताया कि बच्चों को मार्गदर्शन देकर उन्हें पढ़ाया जा रहा है। बच्चों ने जब यह परेशानी बताई तो शहर से बॉटल लेकर शिक्षक श्रीकांत गांव आए। गांव में उन्होनें हर पौधे पर एक-एक बोतल लगा दिया।

गिरते भू जल स्तर और पानी की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हमनें बच्चों के साथ मिलकर अपना ड्रिप सिस्टम बनाया है। इससे पानी की कम खपत से अधिक से अधिक पौधों की देखभाल की जा सकती है या कह सकते कि जमीन की नमी बरकरार रखी जा सकती है। केवल और केवल कुछ मात्रा में पानी लेकर हम पौधों को जीवित रखने की कोशिशों में लगे हैं। इसके लिए मेडिकल वेस्ट ग्लूकोज बोतल, पाइप, कुछ मात्रा में रुई और लकड़ी के स्टैंड के सहारे हमनें अपना देशी ड्रिप सिस्टम इजात किया है आज की स्थिति में 53 पौधों में ड्रिप सिस्टम लगाया है। लगभग 10 पौधे और बच गए हैं जिनपर यह लगना बाकी है। जिसे बहुत ही जल्दी पूरा भी कर लिया जायेगा। इस कार्य में हमारे सफाई कर्मचारी या कह सकते हैं हमारे इंजीनियर समय दास और हमारे नन्हें वृक्षमित्र जी जान से लगे हुए हैं
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो