हे राम! सरकार ने उखाड़ फेंकी ‘राजघाट समाधि’, बाहर निकालीं गांधीजी की अस्थियां
भड़का लोगों का आक्रोश, जेसीबी के सामने खड़े होकर रोका। चोरी-छुपे गांधीजी के अस्थि कलश ले जाने का लगाया आरोप। लोगों के विरोध के बाद गांधी समाधि पर रखे अस्थि कलश
बड़वानी. सुप्रीम कोर्ट की दी समय सीमा अनुसार सरदार सरोवर बांध में आ रहे डूब गांवों के पुनर्वास की तैयारी प्रशासन ने कर ली है। प्रशासन ने इसकी शुरुआत कुकरा राजघाट पर नर्मदा तट स्थित महात्मा गांधी की समाधि से की। गुरुवार अलसुबह 4 बजे से प्रशासन का अमला पुलिस बल और जेसीबी लेकर पहुंचा। लोगों के जागने से पहले प्रशासन ने गांधी समाधि तोड़कर उसमें रखे महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और महादेव भाई देसाई के अस्थि कलश निकाल लिए।
इससे पहले की प्रशासन अस्थि कलश का चबूतरा ले जाता लोगों को जानकारी लग गई और लोगों ने राजघाट पर ही जेसीबी को घेर लिया। करीब ढाई घंटे चले हंगामे के बाद प्रशासन ने अस्थि कलश का चबूतरा वापस गांधी समाधि पर रखा। इसके बाद करीब एक बजे गांधी समाधी को कुकरा बसाहट शिफ्ट किया गया।
क्या है बड़वानी का राजघाट
गौरतलब है कि बड़वानी के राजघाट पर महात्मा गांधी, उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और गांधी जी के सचिव रहे महादेव भाई देसाई की राख रखी हुई थी। नर्मदा किनारे बसा यह देश का यह इकलौता स्थान है, जहां तीन महान लोगों की समाधी बनी हुई है। जनवरी 1965 में गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी बड़वानी में तीनों की देह राख लाए और 12 फरवरी 1965 को बनकर तैयार हुई। इस स्थल को राजघाट का नाम दिया है।
नर्मदा नदी पर गुजरात में बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई अब बढ़ाकर 138 मीटर की जा रही है। इसके सभी गेट 31 जुलाई 2017 को बंद हो रहे हैं। इसके चलते नर्मदा घाटी के धार, बड़वानी और खरगोन जिले के 192 गांव और धार जिले का एक शहर निसरपुर डूब रहा है। इन गांवों के लोगों के बेहतर पुर्नवास के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन और मेधा पाटकर के नेतृत्व में आंदोलन चल रहा है। पहले चरण में डूबे गांवों के प्रभावित आज भी बदहाल जिंदगी जी रहे हैं। इसलिए लोगों को प्रशासन पर भरोसा नहीं है। इसलिए वे शिफ्ट होने से पहले ही बेहतर पुनर्वास चाहते हैं। प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहा है। इधर, लगभग सभी गांवों के लोग अपने अपने गांवों में भी अनशन कर रहे हैं। बड़वानी के पिछोल्दा गांव में क्रमिक अनशन पिछले 10 दिन से जारी है।
गुरुवार अलसुबह 3.30 बजे एसडीएम महेश बड़ोले के नेतृत्व में प्रशासनिक अमला राजघाट पहुंचा। यहां 4 बजे से ऐतिहासिक महत्व की गांधी समाधि को जेसीबी से तोडऩा शुरू किया। 5.30 बजे गांधी समाधि में स्थापित महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और महादेव भाई देसाई के अस्थि कलश रखा चबूतरा निकाल लिया। इसके बाद प्रशासन जेसीबी में रखकर अस्थि कलश ले जा रहा था। जेसीबी गांधी समाधि से करीब 50 मीटर दूर पहुंच भी गई थी।
इस दौरान रोहिणी तीर्थ के स्वामी रामदास महाराज और नर्मदा भक्तों ने जेसीबी रोक ली। घटना की जानकारी लगते ही नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर व कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंच गए। यहां लोगों के भारी विरोध के बाद अस्थि कलशों को प्रशासन ने शुक्रवार को ससम्मान ले जाकर पुनर्वास स्थल पर स्थापित करने की बात मानते हुए गांधी समाधि पर अस्थि कलश वापस रखे।
यहां एसडीएम से सवाल जबाव करते हुए स्वामीजी ने कहा कि आपको पता है ब्रह्म मुहूर्त में सिर्फ शुभ कार्य होते है। किसी भी कीमत पर अस्थियों को नहीं छेड़ा जाता। ब्रह्म मुहूर्त में आप चोरी छुपे पाप कर रहे हो। न तो ग्राम सभा में इसका अनुमोदन कराया गया, न ही यहां मौजूद किसी को खबर दी गई। कानूनन पहले मौके पर पंचनामा बनाया जाता, लोगों की सहमति ली जाती फिर अस्थि कलश निकाले जाते। इसके बाद एसडीएम ने पंचनामा बनाना शुरू किया। नर्मदा बचाओ आंदोलन नेत्री मेधा पाटकर का कहना था मौके पर ही मौका पंचनामा बनाया जाता है। एसडीएम का कहना था कि ये भी मौकास्थल ही है। लोगों ने इसका जमकर विरोध किया।
प्रशासन नगर पालिका की जिस जेसीबी से अस्थि कलश का चबुतरा ले जा रहा था, उसमें गंदगी और कचरा भरा हुआथा। लोगों ने इसका भी विरोध किया। लोगों का कहना था महात्मा गांधी के नाम पर देश में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है और उनकी अस्थि कलश को ही कचरे में डालकर ले जाया जा रहा है। ये राष्ट्रपिता का अपमान है।
यहां पहुंचे नर्मदा भक्त सचिन शुक्ला का कहना था, जहां गांधी समाधि स्थानांतरित करने जा रहे है, वहां भी कचरा पड़ा है, कोई टीन शेड नहीं बनाया गया। इसके बाद एसडीएम ने फोन पर ही पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को तुरंत मौके पर टीन शेड बनाने के आदेश दिए।
यहां मौका पंचनामा बनाने की बात पर लोगों ने पंचनामे पर सरपंच की साइन के बिना पंचनामा मानने से इंकार कर दिया। एसडीएम ने मौके पर सरपंच को बुलाया। ताराबाई गणपत महिला सरपंच होने से उसकी जगह सरपंच पुत्र बलराम गणपत राजघाट पहुंचा। लोगों का कहना था सरपंच होना चाहिए, एसडीएम का कहना था सरपंच पुत्र ही सब काम संभालता है। लोगों ने सरपंच पुत्र का विरोध किया। स्थिति बिगड़ते देख सरपंच पुत्र वहां से निकल गया।
नर्मदा बचाओ आंदोलन नेत्री मेधा पाटकर का कहना था कि गुरुवार से हम गांधी समाधि को नमन कर डूब प्रभावितों के हक में सामूहिक अनशन पर बैठने वाले थे। हम गांधी समाधि को नमन नहीं कर पाए इसलिए रातोंरात गांधी समाधि को उजाड़ दिया। इससे साफ जाहिर है कि डूब गांवों को खाली नहीं करने वालों को भी इसी तरह प्रशासन रातोंरात उजाड़ देगा। इतना पुलिस बल और एनडीआरएफ का बल लेकर आए हैं, मानों किसी युद्ध की तैयारी प्रशासन कर रहा है।