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बड़वानी

49 दिन धरने पर बैठे सत्याग्रही, नीतीश आए पर शिवराज ने नहीं ली सुध

शुक्रवार को नीतीश कुमार ने बड़वानी में इसी मंच से ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की थी। हैरानी की बात ये है कि इस पूरे मसले पर प्रदेश सरकार की ओर से कोई हलचल देखने को नहीं मिली।

बड़वानीSep 17, 2016 / 04:59 pm

Editorial Khandwa

The last day of Satyagraha, Here's what happened

The last day of Satyagraha, Here’s what happened, special Chinmay Mishra said what?

बड़वानी/मध्य प्रदेश. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मध्यप्रदेश दौरे के अगले दिन ही सरदार सरोवर बाँध के डूब प्रभावितों ने 49 दिनों से चल रहे अपने धरना-प्रदर्शन की समाप्ति की घोषणा कर दी। शुक्रवार को नीतीश कुमार ने बड़वानी में इसी मंच से ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की थी। हैरानी की बात ये है कि इस पूरे मसले पर प्रदेश सरकार की ओर से कोई हलचल देखने को नहीं मिली।

धरने की समाप्ति के दौरान वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी चिन्मय मिश्र ने कहा देश की दूसरी सबसे बड़ी समस्या बड़े बांधों में जम रही गाद बन गया है। पिछले दिनों बिहार में आई बाढ़ भी नदियों में जमा गाद का नतीजा थी। बांधों ने बड़े पैमाने पर बाढ़ की विकराल समस्या खड़ी की है। आंदोलन की मांग है कि देश में राष्ट्रीय गाद प्राधिकरण का गठन किया जाए।

चिन्मय मिश्र ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा बांध प्रभावितों की सभा में विकास के मौजूदा मॉडल पर सवाल खड़े किए गए हैं। उन्होंने विकास के मॉडल को न्याय संगत बनाने की मांग भी की है।

राजघाट पर हुई पत्रकार वार्ता में नबआं के अमुल्य निधि ने बताया कि पिछले डेढ़ माह से अधिक समय से चल रहे नर्मदा जल, जमीन सत्याग्रह के ताजा दौर को देशभर से आए समर्थकों और डूब प्रभावितों के निर्णय पर समाप्त किया जा रहा है। पिछले 31 सालों से जारी ये संघर्ष न्याय मिलने तक आगे भी जारी रहेगा। नर्मदा घाटी के बाशिंदे घाटी में अन्याय पूर्ण और गैरकानूनी डूृब के किसी भी प्रयास के खिलाफ टकराने को हमेशा तैयार है। 

आंदोलन ने पाया बहुत कुछ
चिन्मय मिश्र ने बताया कि 49 दिन के सत्याग्रह में आंदोलन ने बहुत कुछ पाया है। सरदार सरोवर बांध सिर्फ नर्मदा घाटी का मुद्दा नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। आंदोलन के सत्याग्रह की ही देन थी कि 10 साल बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को बांध की समीक्षा बैठक बुलाना पड़ी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने समीक्षा में ये माना कि जिन शर्तों पर ये बांध बना है वो पूरी नहीं हो रही है। ये डूब प्रभावितों के लिए अच्छे संकेत है। भविष्य में डूब प्रभावितों को इसका लाभ मिल सकता है।

केंद्र सरकार भी झुकी
आंदोलन के कारण ही केंद्र सरकार को बांध के गेट लगाने के अपने निर्णय से पीछे हटना पड़ा। आंदोलन के दौरान झा आयोग कमिशन की रिपोर्ट भी सार्वजनिक हुई, जिसमें साबित हुआ कि डेढ़ हजार करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ और सरकारी अधिकारियों के साथ दलाल भी इस खेल में सक्रिय रहे। पत्रकार वार्ता में कैलाश यादव, भागीरथ धनगर, मंशाराम जाट, राहुल यादव, देवीसिंह तोमर, बालाराम यादव सहित नबआं के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

नीतीश दूर से आए शिवराज चुप रहे
नर्मदा बचाओ आन्दोलन की अगुवाई में बड़वानी में बाँध प्रभावित 49 दिनों तक धरना प्रदर्शन करते रहे, लेकिन बर्थडे तक पर अपने ट्विटर हैंडल से विश करने वाले भाजपा नेताओं ने इस ओर आने की जहमत नहीं उठाई। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जरूर बाँध प्रभावितों को चिट्ठी लिखकर अपना समर्थन दिया। इतना ही नहीं वो खुद मंच पर आए और विकास के लिए न्याय के पैमाने की बात कह गए।
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