भोपाल। पहले किसान आंदोलन और अब बड़वानी में विस्थापित गांवों वालों की पीड़ा का मुद्दा जहां विपक्ष को मप्र में जिंदा रखे हुए है वहीं सरकार की धड़कने ऊपर-नीचे भी कर रहा है। इन सबसे निपटने में सरकार व्यस्त थी कि तभी विवादित नेता संपतिया उइके को राज्य सभा भेजने के फैसले ने सियासत को गर्म कर दिया है। इसी गर्म तवे पर रोटी सेंकने के लिए कोसों दूर से एक शख्स आया है, जिसने बीजेपी सरकार की नींद उड़ा दी है। इलेक् शन किंग के नाम से मशहूर यह शख्स है के. पद्मराजन, जो अब तक दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा चुनाव लड़कर अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।
मप्र से भरा पर्चा
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री अनिल माधव दवे के देहांत से रिक्त राज्यसभा सीट के लिए भाजपा ने मंडला से संपतिया उइके के नाम की घोषणा की है। उनके खिलाफ चुनाव लडऩे के लिए के.पद्मराजन ने बुधवार को पर्चा दाखिल किया है। खासबात यह है कि पद्मराजन के फार्म की न तो स्क्रूटनी होगी और न ही उनका नामांकन रिजेक्ट होगा।
कौन है के. पद्मराजन
तमिलनाडु के सेलम में रहने वाले पद्मराजन ने अपनी जिंदगी का पहला चुनाव साल 1988 में लड़ा था। तब से शुरू हुआ ये सफऱ आज तक जारी है। लेकिन यह भी सच है कि उन्होंने अपने करियर में एक भी चुनाव नहीं जीता। वे कहते हैं कि मुझे चुनाव प्रचार पर खर्च करने का शौक नहीं है न ही राजनीति में कोई दिलचस्पी है। मैं बस रिकॉर्ड बनाना चाहता हूं। हालांकि इन सबसे अलग पदमराजन को डॉक्टर की उपाधि मिली हुई है, उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की है और तमिलनाडू की एक फेमस टायर निर्माता कंपनी के मालिक हैं।
वाजपेयी के खिलाफ भी लड़ चुके हैं चुनाव
पद्मराजन के मुताबिक, उनके पूर्वज एक सदी पहले केरल से सलेम के अथूर चले आए थे। सलेम के मेत्तुर में टायर बिजनेस शुरू किया और फिर यहीं काम करते-करते चुनाव लडऩे का शौक सर चढ़ गया।
हो चुका है अपहरण
1991 में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के खिलाफ आंध्र प्रदेश के नाड्याल से नामांकन पत्र भरने वाले पद्मराजन का अपहरण हो गया। इस घटना ने उन्हें आम जन में लोकप्रिय बना दिया। इसके बाद वे मीडिया में चर्चा में आए और फिर चुनाव लडऩे का जुनून लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड तक ले गया। पद्मराजन बड़े-बड़े दिग्गजों के सामने चुनाव लडऩे में दिलचस्पी लेते हैं।
अब तक खर्च किए 25 लाख
के.पद्मराजन के इसी जुनून के कारण उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। वे आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, दिल्ली के बाद अब मप्र से पर्चा दाखिल कर रहे हैं। आपको बता दें कि वे अब तक पर्चा दाखिल करने के लिए 25 लाख रुपए से ज्यादा की जमानत दे चुके हैं।
दिग्गजों के खिलाफ लड़ा है चुनाव
के.पद्मराजन ने अपने जीवन में राज्यसभा चुनाव के रूप में 182वां नामांकन फार्म दाखिल किया है। इसके पहले वे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, विधानसभा सहित दूसरे चुनावों में 181 नामांकन भर चुके हैं।
जयललिता के सामने पद्मराजन 3 बार चुनावी मैदान में खड़े हुए। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, पूर्व राष्ट्रपति के. आर. नारायण, पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (राज्यसभा चुनाव) और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी(राष्ट्रपति चुनाव) जैसे नाम भी शामिल हैं।