नई दिल्ली. डिमोनेटाइजेशन के चलते लगभग सभी इंडस्ट्रीज पर शॉर्ट टर्म इंपैक्ट तो रहेगा, लेकिन सबसे ज्यादा असर जिन पर पड़ रहा है उनमें फूड स्टॉल एंड रेस्टोरेंट्स को सबसे आगे माना जा रहा है। बड़े पैमाने पर इनमें वो रेहड़ी-पटरी वाले भी शामिल हैं जिनका लगभग पूरा व्यापार कैश बेस्ड इकोनॉमी और छोटी करंसी में होता है। रिपोर्ट्स की मानें, इस इंडस्ट्री को नोटबंदी के बाद पहले 24 घंटों में ही 40 फीसदी सेल्स गिरावट का सामना करना पड़ा है। हालांकि, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की पहुंच छोटे वेंडर्स तक भी पहुंच सकती है, जिसका बड़ा फायदा मिलेगा।
रेंटल-सैलरी खर्च की बढ़ी चिंता
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है, ‘एक तरफ बिक्री में कमी और दूसरी तरफ रेंटल-सैलरी के खर्च से हालत पतली होने की चिंता सता रही है। ऐसे में कंपीटिशन में वे लोग आगे निकल जाएंगे जिनका प्रॉफिट मार्जिन अच्छा है। उनके मुताबिक, इनमें ज्यादातर लोग वे ही हैं जो टैक्स चोरी करते हैं क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि वे सारा पैसा कैश के रूप में ही रखते हो। हालांकि उनका मानना है कि लंबे समय में इसका फायदा मिलेगा क्योंकि बाजार से स्क्रूटनी होगी और कैशलेस सिस्टम में प्रोत्साह्न से पारदर्शिता आएगी।
रेहड़ी-पटरी तक पहुंचेगा इनोवेशन
2000 का बड़ा नोट आने से दुकानदारों के सामने खुल्ले की समस्या भी बढ़ेगी। ऐसे में इस बात की काफी संभावनाएं हैं कि रेहड़ी-पटरी वाले भी स्वाइप मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर दें। ऐसे में कम खर्च वाली स्वाइप मशीनें आने की भी उम्मीद है।
अस्थाई गिरावट, फिर लगेगा ‘तड़का’
रेस्टोरेंट सेक्टर के मिड मार्केट सेग्मेंट का रेवेन्यू अस्थाई तौर पर गिरावट का सामना कर सकता है। हालांकि यह असर टियर-3 शहरों में ज्यादा दिखेगा। मेट्रो शहरों में मिड सेग्मेंट का 70-80 फीसदी बिजनेस क्रेडिट कार्ड पर निर्भर होता है। ऐसे में लॉन्ग टर्म में रेवेन्यू में फिर से तड़का लगने की उम्मीद है।
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