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वित्त वर्ष 2017 में 7 फीसदी के नीचे रह सकती है जीडीपी वृद्धि दर

विभिन्न घरेलू और वैश्विक एजेंसियों ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर अपने पिछले अनुमान में गिरावट दर्ज की है। इसके पीछे विभिन्न क्षेत्रों में उपभोक्ता मांग में कमी को प्रमुख वजह बताया गया है…

Dec 26, 2016 / 03:40 pm

प्रीतीश गुप्ता

GDP

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नई दिल्ली. नोटबंदी के बाद उपजे नकदी संकट के चलते ग्रामीण और शहरी खपत में बड़ी गिरावट के चलते चालू और आगामी वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है। विभिन्न घरेलू और वैश्विक एजेंसियों ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर अपने पिछले अनुमान में गिरावट दर्ज की है। इसके पीछे विभिन्न क्षेत्रों में उपभोक्ता मांग में कमी को प्रमुख वजह बताया गया है। एजेंसियों के मुताबिक, ऑटोमोबाइल उद्योग और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के कारोबार में सबसे ज्यादा नकारात्मक असर देखने को मिला है।

पूर्वानुमान में 0.5 फीसदी तक की कमी

नोमुरा ने पहले नोटबंदी के चलते पहली तिमाही में 6.9 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया था, लेकिन अब फर्म को इसमें और ज्यादा गिरावट की आशंका है। बैंक ऑफ अमरीका के एक अर्थशास्त्री के मुताबिक, विमुद्रीकरण के चलते हर महीने वृद्धि दर में करीब 0.3 से 0.5 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है। उनके मुताबिक देश की आर्थिक वृद्धि दर पहले 7.7 फीसदी रहने का अनुमान था, लेकिन अब यह आंकड़ा महज 6.9 फीसदी रह गया है।

मध्यम-छोटे उद्योगों पर ज्यादा असर

क्रेडिट सुईस ने भी वित्त वर्ष 2017 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 फीसदी ही रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पहले यह आंकड़ा 7.8 फीसदी था। कंपनी का मानना है कि विमुद्रीकरण के पहले खपत दर 8.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब इसके 6.5 फीसदी पर ही रूकने की आशंका है। इसने मध्यम एवं छोटे आकार के उद्योगों और ऑटोमोबाइल, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों आदि के कारोबार में गिरावट की आशंका जताई है। 

मालवाहन में हो रही गिरावट

रेलवे और वाणिज्यिक वाहनों के जरिये मालवाहन में गिरावट उपभोक्ता मांग कम होने के सीधे संकेत हैं। अगले कुछ और महीनों तक बिक्री में गिरावट रहने की आशंका है। निवेश में अभी लंबे समय तक सुस्ती रह सकती है। कॉर्पोरेट कंपनियों की कमाई में भी लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। बैंक ऑफ अमरीका मेरिल लिंच के अनुमान के मुताबिक, इसमें एक से छह फीसदी तक की गिरावट हो सकती है। 

इन दोनों का होगा असर

विशेषज्ञों के मुताबिक, ‘विमुद्रीकरण और वस्तु एवं सेवा कर के संयुक्त प्रभाव के चलते अगली तीन-चार तिमाहियों में कॉर्पोरेटों की कमाई में अस्थिरता देखने को मिल सकती है। हालांकि, अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2017 में 13 और वित्त वर्ष 2018 में 20 फीसदी तक की बढ़त देखने को मिल सकती है। इसमें सरकारी बैंकों, धातुओं एवं खनन, दवा आदि क्षेत्रों में संभावित सुधार का अच्छा योगदान रह सकता है।

2016 में ऐसे खराब हुआ हाल

क्षेत्र जून नवंबर
मध्यम-भारी वाणिज्यिक वाहन 1.9 -13.1
औद्योगिक उत्पादन 1.0 -2.4
रेलवे मालवाहन -4.5 -7.3
यात्री वाहन बिक्री 2.7 1.8
दो-पहिया बिक्री 12.3 -5.9
* उतार-चढ़ाव के आंकड़े फीसदी में

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