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ग्वालियर

आपने सुना! नागिन ने फन पटक-पटक कर दे दी जान

भारत में कदम-कदम पर कई चौंकाने वाली घटनाएं आज भी देखने को मिलती है। ऐसी ही एक हैरतंगेज घटना मुरैना में भी हुई है, जिसे पढ़कर आप दंग रह जाएंगे।

ग्वालियरJan 07, 2016 / 08:52 pm

Gaurav Sen


मुरैना/खेरीया/भोपाल। ग्रामीण अंचलों में आज भी कई ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं, जो किसी को भी हैरत में डाल दें। बीते दिनों मुरैना के पास स्थित खिरिया गांव में भी एक ऐसी ही घटना देखने को मिली, जो सुनने-देखने में थोड़ी अजीब जरूर लगती है, लेकिन इस घटना ने ख़बरों में जगह बनाई है। बाकायदा एक मृत सांप की आत्मा के लिए विधि-विधान से गरुड़ पुराण का पाठ करवाया गया।

दरअसल, खिरिया गांव में पिछले 14 दिन से कौतुहल का विषय बने मृत सर्प के पास बैठी नागिन के प्राण त्यागने के बाद, उसे भी मृत सर्प के साथ पूरे रीति-रिवाज के साथ जला दिया गया है। ग्रामीणों के अनुसार नागिन ने नाग की चिता की परिक्रमा देकर प्राण त्यागे। नागिन के प्राण त्याग करने के बाद नागिन को भी नाग के साथ ही एक ही चिता में जलाया गया।

नाग की अंत्येष्टि दोपहर 12 बजे रिति रिवाजों के अनुसार की गई लिहाजा 30 मिनट तक ग्रामीण नागिन नाग की चिता पर परिक्रमा को लगाते देखते रहे उसके बाद नागिन ने फन पटक पटक कर खुद के प्राण त्याग दिए। इस दौरान पूरा खिरिया गांव नाग के अंतिम संस्कार को देखने के लिए उमड़ा हुआ था।


क्या था मामला
जौरा क्षेत्र के खेरिया गांव में 14 दिन पहले गांव के लोगों ने एक नाग को मार दिया था। हैरतंगेज बात ये है कि इसके तुरंत बाद ही वहां एक दूसरा सर्प आया और मृत नाग के सम्मुख बैठ गया। गांव में यह खबर कौतूहल का विषय बन गई और दूसरे सर्प को देखने के लिए गांव में लोगों की भीड़ जुटने लगी। हुआ यूं था कि खेरिया गांव में श्यामदेव बाबा का बाग पर गांव के ही रामकुमार पाराशर की करब रखी हुई थी, जिसे रामकुमार व उसके परिजन काटने पहुंचे। करब काटते समय उसमें एक सांप निकला, जिसे लोगों ने मार डाला था।


शांति के लिए हुआ गीता पाठ और गरुड़ पुराण
ग्रामीणों ने तमाम प्रयास किए, लेकिन जब सर्प नहीं हटा तो मारे गए नाग की मुक्ति के लिए ग्रामीणों ने गीता पाठ शुरू करवा दिया। इतना ही नहीं इस पूजा-पाठ में गांव के लोग भी शामिल हुए और बाकायदा पंडित जी ने विधि-विधान से सर्प की मुक्ति के लिए मंत्रोचार किया। गरुड़ पुराण की कथा भी सुनाई और लोगों ने प्रायश्चित भी किया, लेकिन जब सर्प 15 दिन बाद भी नाग के शव से नहीं हटा तो ग्रामीणों ने इसका अंतिम संस्कार करने का मन बना लिया।



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…और टल गया था अंतिम संस्कार
मंगलवार को विधि विधान से चिता तैयार कर उस पर नाग को लिटाया गया, लेकिन मुखाग्नि देने पर बात अटक गई। नाग को मारने वाले ग्रामीण रघुराज ने मुखाग्नि देने की बात कही। लेकिन इसके फ़ौरन बाद ही लोगों ने नाग की अंतेष्ठी पर होने वाले खर्चे को वहन करने की बात कह दी। अंतिम संस्कार के समय मुखाग्नि कौन देगा इस पर फैसला पंचायत के जिम्मे छोड़ा गया। इस दौरान ग्रामीणों ने बुधवार को ढांक बजवाने का भी निर्णय लिया था। ग्रामीणों का विश्वास अब भी विश्वास है कि ये नाग-नागिन की प्रेम कहानी है!

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