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ग्वालियर

ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न और कष्टों से पाएं मुक्ति

सामान्यत: शनि को क्रूर ग्रह माना जाता हैं, जबकि अनेक जानकारों के अनुसार ऐसा नहीं है, शनि देव दंडाधिकारी है और वे केवल आपके कर्मों का फल ही आप तक पहुंचाते हैं।

ग्वालियरMay 07, 2016 / 09:05 am

rishi jaiswal

blessing of shanidev

blessing of shanidev


ग्वालियर। यदि यमराज मृत्यु के देवता हैं, तो शनि भी कर्म के दंडाधिकारी हैं। गलती कैसे भी हुई हो जानकर या अनजाने में, दण्ड तो भोगना ही पड़ेगा। माना जाता है यदि कोई व्यक्ति शनि की ढैया या साढ़ेसाती से ग्रसित या फिर कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव के कारण किसी रोग से पीड़ित है तो इन उपायों को आजमाने से उसे शनिदेव की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। 


1- दोनों समय भोजन में काला नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें।
2- शनिवार के दिन बंदरों को भुने हुए चने खिलाएं और मीठी रोटी पर तेल लगाकर काले कुत्ते को खाने को दें।
3- यदि शनि की अशुभ दशा चल रही हो तो मांस-मदिरा का सेवन न करें।
4- यदि शनि की अशुभ दशा चल रही हो तो मांस-मदिरा का सेवन न करें।
5- घर के किसी अंधेरे भाग में किसी लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें तांबे का सिक्का डालकर रखें।
6- शनि ढैया के शमन के लिए शुक्रवार की रात्रि में 8 सौ ग्राम काले तिल पानी में भिगो दें और शनिवार को प्रातः उन्हें पीसकर एवं गुड़ में मिलाकर 8 लड्डू बनाएं और किसी काले घोड़े को खिला दें। आठ शनिवार तक यह प्रयोग करें।
7- शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करें। पहली रोटी उसे खिलाएं, सिंदूर का तिलक लगाएं, सींग में मौली (कलावा या रक्षासूत्र) बांधे और फिर मोतीचूर के लड्डू खिलाकर उसके चरण स्पर्श करें।
8- प्रत्येक शनिवार को वट और पीपल वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पूर्व कड़वे तेल का दीपक जलाकर शुद्ध कच्चा दूध एवं धूप अर्पित करें।
9- शनिवार को ही अपने हाथ के नाप का 29 हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको मांझकर(बंटकर) माला कि तरह गले में पहनें।
10- यदि शनि की साढ़ेसाती से ग्रस्त हैं तो शनिवार को अंधेरा होने के बाद पीपल पर मीठा जल अर्पित कर सरसों के तेल का दीपक और अगरबत्ती लगाएं और वहीं बैठकर क्रमशः हनुमान, भेरव और शनि चालीसा का पाठ करें और पीपल की सात परिक्रमा करें।


लक्षणों से पहचाने कुंडली में शनि की स्थिति
 यदि शरीर में हमेशा थकान व आलस भरा लगे, नहाने-धोने से अरूचि हो या नहाने का वक्त ही न मिले, नए कपड़े खरीदने या पहनने का मौका न मिले, नए कपड़े व जूते जल्दी-जल्दी फटने लगे, घर में तेल, राई, दाले फैलने लगे या नुकसान होने लगे, अलमारी हमेशा अव्यवस्थित होने लगे, भोजन से बिना कारण अरूचि होने लगें, सिर व पिंडलियों में, कमर में दर्द बना रहे, परिवार में पिता से अनबन होने लगे, पढ़ने-लिखने से या लोगों से मिलने से उकताहट होने लगे, चिड़चिड़ाहट होने लगे यह सभी स्थितियां शनि ग्रह की अशुभता की घोतक हैं।


शनि ग्रह के उपाय –


1. हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करें।
2. सोलह सोमवार व्रत करें।
3. स्फाटिक या पारद शिवलिंग पर नित्य गाय का कच्चा दुध चढ़ाए फिर शुद्ध जल चढ़ाऐं और ओम् नमः शिवाय मन्त्र का जाप करें।
4. प्रदोष व्रत रखें।
5. प्रत्येक शनिवार को सूर्योदय के समय पीपल में तिल युक्त जल चढ़ाऐं और शाम को (सूर्यास्त के बाद) तेल का दीपक जलाएं ..
६. शनि ग्रह की शान्ती के लिये हर शनिवार को पीपल के पेड मे सरसो के तेल का दीपक लगाएं, हनुमानजी के दर्शन करे तथा हनुमान चालिसा का पाठ करे, प्रत्येक शनिवार को शनिदेव को तेल चढाये तथा दशरथकृत शनि स्रोत का पाठ करे, तथा 7. शनि की होरा मे जलपान नही करे, साथ ही काले कपडे पहने नही|
8. घोडे की नाल का छल्ला पहनना चाहिए|
9. हनुमानजी को तेल चढाना चाहिए और संकटमोचन का पाठ करना चाहिए|


शनिवार के व्रत की विधि – (माना जाता है कि यह व्रत शनि गृह की अरिष्ट शांति तथा शत्रु भय, आर्थिक संकट, मानसिक संताप का निवारण करता है और धन धान्य और व्यापार में वृद्धि करता है)

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की प्रतिमा का विधि से पूजन करना चाहिए। शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवंती के फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पित करने चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए। पूजा के बाद उनसे अपने अपराधों व जाने-अनजाने जो भी पाप हुए हों, उसके लिए क्षमा माँगें। इनकी पूजा के बाद राहु और केतु की पूजा भी करना चाहिए। इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल चढ़ाना चाहिए और सूत बाँधकर सात बार परिक्रमा करना चाहिए।


शाम को शनि मंदिर में जाकर दीप भेंट करना चाहिए और उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर शनि महाराज को भोग लगाना चाहिए। काली चींटियों को गुड़ व आटा देना चाहिए। इस दिन काले रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए। श्रद्धा से व्रत करने से शनि का कोप शांत होता है।
ये व्रत शुक्ल पक्ष के शनिवार विशेषकर श्रवण मास शनिवार के दिन लोह निर्मित शनि की प्रतिमा को पंचम्रित से स्नान करा कर धूप गंध, नीले पुष्प, फल , तिल, लौंग, सरसों का तेल, चावल, गंगाजल, दूध डाल कर पश्चिम दिशा की और अभिमुख होकर पीपल वृक्ष की जड़ में दाल दे |
इस दिन शनि स्तोत्र का पाठ, जूते, जुराब नीले रंग का वस्त्र , काला छतरी, काले तिल, काले चने,चाकू, नारियल और तेल निर्मित वस्तुओ का सेवन करे और एक समय नमक रहित भोजन करना चाहिए|

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