ग्वालियर। वे लोग खुशकिस्मत थे, जो इश्क को काम समझते थे और काम से आशिकी करते हैं। अब तो इश्क में खतों की किताबत भी बंद हो गई है। लोग इश्क के मायने ही कुछ और समझने लगे हैं।
इश्क वह था जो शहीद भगत सिंह व चन्द्रशेखर आजाद ने अपने देश से किया। आज फिर वही जरूरत आन पड़ी है। आशिकी जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा देती है। इश्क को काम समझो और काम से आशिकी करो। यह बात स्टूडेंट्स के एक सवाल के जवाब में फिल्म अभिनेता, डायरेक्टर, स्क्रिप्ट राइटर पीयूष मिश्रा ने कही। यह इंटरेक्शन प्रोग्राम गुरुवार को आईटीएम यूनिवर्सिटी के सिथौली कैंपस में आयोजित किया गया था। डेढ़ घंटे तक चले इंटरेक्शन प्रोग्राम में स्टूडेंट्स और पीयूष के बीच सिनेमा, साहित्य और समाज पर चर्चा हुई।
फिल्म अभिनेता पीयूष मिश्रा का स्टूडेंट्स से इंटरेक्शनफिल्म अभिनेता पीयूष मिश्रा का स्टूडेंट्स से इंटरेक्शन
कुछ इश्क किया कुछ काम किया…
कार्यक्रम के बीच में पीयूष मिश्रा ने कुछ गीत भी गुनगुनाए। इनमें कुछ इश्क किया कुछ काम किया…, गालिब के मौमिन के ख्वाबों की दुनिया…, एक बगल में चांद होगा… आदि शामिल थे। इस अवसर पर राजकुमार भाटिया, यूनिवर्सिटी की वॉइस प्रेसीडेंट रूचि सिंह चौहान, रजिस्ट्रार ओमवीर सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन मेघा लहाने किया एवं आभार यूनिवर्सिटी के मैनेजिंग डायरेक्टर दौलत सिंह चौहान ने व्यक्त किया। इस दौरान स्टूडेंट्स ने पीयूष से कई क्वेश्चन किए।
खुद की सुनो, खुली आंखों से देखो सपने
खुली आंखों से देखे गए सपने सच होते हैं। बंद आंखों से तो सपने सभी देखते हैं। जितने बड़े सपने देखोगे, उतनी ही ऊचाई तक पहुंचोगे। इसके लिए आपको बेस्ट स्ट्रेटजी से अपने लक्ष्य की तरफ बढऩा होगा। अपना कॅरियर बनाने के लिए खुद की सुनों। पैरेंट्स, फ्रेंड्स एवं सीनियर्स की केवल सलाह लो।
पहले कारण जानें, फिर डिसीजन लें
पैरेंट्स यदि किसी काम को करने से मना करते हैं, तो पहले उसका कारण जानें, फिर कोई डिसीजन लें। क्योंकि पैरेंट्स कभी भी आपका बुरा नहीं चाहेंगे। जबरदस्ती अपने अंदर निगेटिविटी न लाएं।
इंडियन फिल्म के लिए समय अच्छा
भारतीय फिल्मों को भी ऑस्कर अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। इसकी शुरुआत हो चुकी है। इरफान ने हॉलीवुड में दस्तक दी है, तो प्रियंका चोपड़ा को ओबामा ने डिनर के लिए इन्वॉइट किया। ये आने वाले समय के लिए अच्छे संकेत हैं।