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इंदौर

होलकर कालीन तोपखाने वाले गुरुद्वारे की अनोखी कहानी..

होलकर राजवंश में आतंक का माहौल बन गया था। इससे निपटने के लिए होलकर शासन ने  पंजाब महाराज से सहयोग लिया। वहां से सिख्ख रेजीमेंट यहां आई। 

इंदौरSep 26, 2016 / 12:17 pm

Shruti Agrawal

amazing story of holker time gurudwara

amazing story of holker time gurudwara at indore

इंदौर। एमजी रोड स्थित लाल गुरुद्वारा सिख्खों की आस्था का खास केंद्र है। मुख्य मार्ग पर बने हुए इस गुरुद्वारे के अस्तित्व में आने की कहानी बड़ी अनोखी है। माना जाता है बाबासाहेब की इस दर पर मत्था टेकने वाले कभी काली हाथ नहीं जाते।

गुरुद्वारे की कहानी शुरू होती है 1925 के आस-पास। इस समय धार-झाबुआ में लुटेरे सक्रिय थे। होलकर राजवंश इन लुटेरों के आंतक से परेशान हो चुका था। ये लुटेरे लूट के साथ-साथ आम नागरिकों की हत्या भी कर रहे थे। इससे होलकर राजवंश में आतंक का माहौल बन गया था। लगातार बिगड़ते हालातों से निपटने के लिए होलकर शासन ने आखिरकार पंजाब महाराज से सहयोग लिया।



वहां से सिख्ख रेजीमेंट यहां आई। उस समय एमजी रोड पर जिला कोर्ट से लगा तोपखाना बना हुआ था। सिख्ख रेजीमेंट को यही रुकाया गया। क्योंकि एक तो तोपखाने की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनको दी गई थी। उनको रहने के लिए जगह दी गई जिसे बाद में सिख मोहल्ला कहा गया। उन सैनिकों को पूजा पाठ करने में दिक्कत आने लगी । 
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होलकर शासन से उन्होंने गुरुद्वारे के लिए जगह मांगी तब उन्हें यह जगह दी गई। होलकर रिकॉर्ड में आज भी यह जगह सिख मंदिर के नाम पर बताई जाती है। ऐतिहासिक होने से इंदौर के प्रमुख इमली साहेब गुरुद्वारा की प्रबंधन कमेटी के अधीन आता है।

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खाली हो गया सिख मोहल्ला, लेकिन आस्था मजबूत
आजादी के बाद होलकर राज खत्म हो गया, लेकिन सिख रेजीमेंट के फौजी इंदौर में ही बस गए। यहां की आबोहवा इतनी पसंद आई कि पंजाब लौटकर नहीं गए। कुछ समय पहले तक सिख मोहल्ले में उनके परिवार रहते थे लेकिन धीरे-धीरे सभी छोड़कर अन्य सिख कॉलोनियों में बस गए। वर्तमान में होलकर शासन की फोज के लेफ्टिनेंट कर्नल रामसिंह व लेफ्टिनेंट सरदार करतारसिंह का परिवार वहां रह रहा है।
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चमत्कारिक गुरुद्वारा-
कहा जाता है कि लाल गुरुद्वारे में मत्था टेकने से सारी तकलीफें दूर हो जाती हैं। जिला कोर्ट के पास होने के कारण लंबे समय से कोर्ट के चक्कर लगा रहे परेशान लोग गुरुद्वारे में मत्था टेकने आते हैं। माना जाता है कि बाबा से सच्चे दिल से अरदास करने के बाद वे कोर्ट-कचहरी की उलझनों से दूर हो जाते हैं। 

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