राजेश डोंगरे @ इंदौर . गणपति बप्पा मोरिया…अगले बरस तू जल्दी आ… गीत और ढोल ढमाकों के साथ शुक्रवार को ही हमने गणपति को पूर्ण आस्था और श्रद्धा के साथ विदा किया। मगर ये क्या… जिन प्रतिमाओं की दस दिन से पूजा अर्चना कर रहे थे, वे अब कैसी दुर्दशा का शिकार हो रही हैं। बगैर विसर्जन के ही कई प्रतिमाओं को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। रोज जिनकी आरती गा रहे थे अब उन्हें श्वानों ने घेर लिया है। जिन प्रतिमाओं को दुखहर्ता कह रहे थे … वे अब गंदगी से पटी पड़ी हैं।
यह तस्वीर जवाहर टेकरी की है… लेकिन ऐसा सिर्फ यहीं नहीं है। हर उस मुकाम की हालत ऐसी है, जहां बप्पा का विसर्जन किया गया है। लगता है… ये बप्पा का नहीं…हजारों-लाखों की लोगों की आस्था का विसर्जन है…
इधर गाजे-बाजे के साथ श्रद्धालुओं ने बप्पा को दी विदाई शहर व अंचल में अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश का पूजन कर धूमधाम से विसर्जन किया गया। युवा डीजे व ताशों पर थिरकते हुए निकले। शहर के गोशाला घाट, चोरल डेम, नखेरी डेम पर गणेश प्रतिमाओं को विसर्जित किया गया। यहां सुबह से शाम तक गणपति बप्पा मोरिया के जयघोष गूंजते रहे। हासलपुर. बाजार चौक की शिवाय गणेश उत्सव समिति द्वारा ढोल-ताशों के साथ विसर्जन जुलूस निकाला। भगवान गणेश की प्रतिमाएं मिठिया बालाजी तालाब में विसर्जित की गई। राजपुरा कुटी, कमदपुर, फफूंद, सीतापाट, भीचौली, यशवंत नगर आदि स्थानों पर धूमधाम से प्रतिमाओं को विसर्जित किया गया।
पीथमपुर.नगर के तीनों सेक्टर में करीब 50 से अधिक पंडालों में गणनायक की प्रतिमाओं के समक्ष विदाई के पूर्व विधि-विधान से हवन, आरती के कार्यक्रम आयोजित किए गए। मंत्रों की ध्वनि के बीच, गाजे-बाजे, ढोल-ढमाकों की गूंज के बीच उनका विसर्जन करने के लिए ले जाया गया। तालाबों के समीप अलग से कुंड में प्रतिमाओं के विसर्जन की व्यवस्था की गई, जहां बड़ी संख्या में विधि-विधान से श्रद्धालुओं ने प्रतिमाओं का विसर्जन किया। उधर सागोर में स्थापित प्रतिमाएं भी तालाबों के समीप कुंड में विसर्जित की गई। इंडोरामा, मंडलावदा, मेठवाड़ा, बगदून, अकोलिया, बरदरी, खेड़ा-खंडवा, चीराखादन, तारपुरा, काली बिल्लौद, धन्नड़, विश्वास नगर, चौपाटी, जीवन ज्योति सहित विभिन्न क्षेत्रों की गणेश प्रतिमाओं का भी विसर्जन विधि-विधान से किया गया।
चोरल. स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरणा लेकर क्षेत्र के युवाओं ने इको फ्रेंडली विसर्जन करवाया। चोरल नदी में प्रतिमाएं विसर्जित करने के बजाए यहां बड़ा गड्ढा खोदा गया, जिसमें पानी लाकर वहां प्रतिमाएं विसर्जित करवाई गई। संजय कुशवाह ने हमने गणेश विसर्जन के लिया योजना बनाई ताकि पर्यावरण को सहेजने में सार्थक कदम बन सके। इसके लिए चोरल नदी के समीप एक गहरा गड्ढा खोदवाया। अनंत चतुर्दशी पर सभी 20 लोग सुबह से यहां पहुंच गए। पवन कौशल, विनोद कौशल, बालाराम, जगदीश कौशल, विकास जायसवाल सहित आठ साथी एक स्थान पर तैनात हुए ताकि कोई नदी में कोई मूर्ति विसर्जन नहीं कर सके। अमित सैनी, मनोहर सिंह परिहार, नानूराम चौहान को पूजन सामग्री की जिम्मेदारी दी गई। 4 युवाओं ने विसर्जन स्थल पर मौजूद रहे।
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देपालपुर. 10 दिवसीय गणेशोत्सव का समापन गुरुवार को पूरे विधि विधान से किया गया । इस दौरान मंदिरों पंडालों में हवन पूजन के साथ पूरे विधि विधान से बैंडबाजे व ढोल की थाप पर युवा गणेश जी का विसर्जन करने के लिए बनेडिय़ा तालाब, यशवंत सागर, ओंकारेश्वर, महेश्वर, चांदेर, खटवादी जाकर गणेशजी की प्रतिमा का विसर्जन किया। सुबह से ही नगर व आसपास गांव में पंडालों व मंदिरों में भगवान का पूजन व हवन किया गया और पूरे विधि विधान से नाचते-गाते गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आना के उदघोष के साथ गणेशजी का विसर्जन किया गया। चंद्रावतीगंज . आसपास के क्षेत्र में गुरुवार को अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं का गंभीर नदी पर विधि विधान के साथ विसर्जन किया गया। गणेश उत्सव के समापन होने पर सुबह से ही छोटे-छोटे बच्चे ट्रैक्टर ट्रॉली एवं मोटर साइकिलों पर गणेश जी की मूर्ति ढोल-ढमाकों के साथ विसर्जन के लिए ले जा रहे थे।
गौतमपुरा.गणेशोत्सव के अवसर पर नोकोठडी चौराहा स्थित चिंताहरण गणपति मंदिर पर महाआरती का अयोजन रखा गया। महाआरती में नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर पुण्य लाभ लिया।महाप्रसादी का वितरण किया गया। गुरुवार की सुबह से ही गणेश विर्सजन के लिए नगर में चल समारोह निकले। ढोल-ढमाकों के साथ जुलूस के रूप में चंबल नदी पहुचकर गणेश जी की मूर्तियों का विर्सजन किया। हातोद. दस दिनी गणेशोत्सव के बाद सुबह महूर्त में पूजा पाठ कर विसर्जन के लिए रवाना श्रद्धालु रवाना हुए। ढोल-ढमाके के साथ जुलूस नगर के विभन्न मार्गों से होता हुआ विसर्जन के लिए निकला।