जबलपुर। हमेशा से ही चमत्कार को नमस्कार किया जाता रहा है। आपके जीवन में कई ऐसे लोग मिले होंगे जो आपके भूत, वर्तमान और भविष्य को आपके सामने पढ़ देते हैं और फिर आप उसके कायल हो जाते हैं। लेकिन शायद आप कभी इस बात पर गौर नहीं किए होंगे कि यह शक्ति उनके पास आई कैसे। हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी जड़ी के बारे में जो आपको भी त्रिकालदर्शी बना सकती है। पुराने वैद्य नब्ज टटोलकर बता देते थे कि आप किस पीड़ा से ग्रसित हैं। आप जानकर ताज्जुब मानेंगे की ब्राह्मी की संतुलित मात्रा आपको न सिर्फ निरोगी रखेंगी बल्किभविष्यवक्ता भी बना देगी।
यह है ब्राह्मी
कटनी जिले के ग्राम कुटी निवासी वैद्य उदयराम द्विवेदी का मानें तो ब्राह्मी एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसे आयुर्वेद में बहुत उपयोगी माना गया है। ब्राह्मी तराई वाले स्थानों पर उगती है। बुद्धि तथा उम्र को बढ़ाती है। यह रसायन के समान होती है। ब्राह्मी में एल्केलाइड तथा सेपोनिन नामक दो मुख्य: जैव सक्रिय पदार्थ पाए जाते हैं। इसमें पाए जाने वाले दो मुख्य एल्केलाइड हैं ब्राह्मीन तथा हरपेस्टिन जबकि बेकोसाइड ए तथा बी मुख्य सेपोनिन हैं।
कुचला के समक्षक है ब्राह्मी
गुणों की दृष्टि से ब्राह्मी कुचला में पाए जाने वाले एल्केलाइड स्ट्रिकनीन के समान हैं परन्तु यह उसकी तरह विषाक्त नहीं होती। ब्राह्मी में बोटूलिक अम्ल, स्टिग्मा स्टेनॉल, बीटा-साइटोस्टीरॉल तथा टेनिन आदि भी पाए जाते हैं। हरे पत्तों में प्राय: एल्केलाइड तथा उडऩशील तेल पाए जाते हैं जबकि सूखे पौधों में सेण्टोइक एसिड तथा सेण्टेलिंक एसिड भी पाए जाते हैं। बुखार को खत्म करती है। याददाश्त को बढ़ाती है।
ऐसे बनाती है भविष्यवक्ता
सफेद दाग, पीलिया, प्रमेह और खून की खराबी को दूर करती है। खांसी, पित्त और सूजन को रोकती है। बैठे हुए गले को साफ करती है। ब्राह्मी का उपयोग दिल के लिए लाभदायक होता है। यह मानसिक पागलपन को दूर करता है। सही मात्रा के अनुसार इसका सेवन करने से निर्बुद्ध, त्रिकालदर्शी यानी भूत, भविष्य और वर्तमान सब दिखाई देने लगते हैं। मण्डूक परनी भी ब्राह्मी के गुणों के समान होती है। ब्राह्मी घृत, ब्राही रसायन, ब्राही पाक, ब्राह्मी तेल, सारस्वतारिष्ट, सारस्वत चूर्ण आदि के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।
बुद्धि को करती है प्रखर
वीक मेमोरी में ब्राह्मी का रस या चूर्ण पानी के साथ रोगी को दिया जाना चाहिए। ब्राह्मी के तेल की मालिश से कमजोर मस्तिष्क मजबूत हो जाता है तथा बुद्धि बढती है। तेल बनाने के लिए 1 लीटर नारियल तेल में लगभग 15 तोला ब्राह्मी का रस उबाल लें। यह तेल सिरदर्द, चक्कर, भारीपन, चिंता आदि से भी राहत दिलाता है। हिस्टीरिया जैसे रोगों में यह तुरन्त प्रभावी होती है जिससे सभी लक्षण तुरन्त नष्ट हो जाते हैं। कुष्ठ और चर्म रोगों में भी यह उपयोगी है।