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संत ‘कबीरदास’ ने रखा था इस TOURIST प्लेस का नाम, यहां बना है उनका घर

कबीर जयंती: आज हम आपका उस स्थान की ओर ले जा रहे हैं जहां आज भी कबीरदासजी की स्मृतियां शेष हैं।

Jun 20, 2016 / 03:07 pm

Abha Sen

amarkantak

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जबलपुर। संत कबीरदास का जन्म 1398 ई में माना जाता है। 20 जून को कबीर जयंती मनाई जा रही है। कबीर हिंदी साहित्य के भक्ति कालीन युग में ज्ञानाश्रयी निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिंदी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। आज हम आपका उस स्थान की ओर ले जा रहे हैं जहां आज भी कबीरदासजी की स्मृतियां शेष हैं।

 

फेमस टूरिस्ट प्लेस अमरकंट में आज भी कबीरदासजी की यादें बसी हैं। बताते हैं कि कबीरदासजी ने इस नगरी का नाम अमरकंटक रखा था। यहां बने कबीर चबूतरे पर ही वट वृक्ष के नीचे वे बैठा करते थे और इसी स्थान पर उन्होंने कुछ दिन बिताए थे।



स्‍थानीय निवासियों और कबीरपंथियों के लिए कबीर चबूतरे का बहुत महत्‍व है। कहा जाता है कि संत कबीर ने कई वर्षों तक इसी चबूतरे पर ध्‍यान लगाया था। कहा जाता है कि इसी स्‍थान पर भक्त कबीर जी और सिक्खों के पहले गुरु श्री गुरु नानकदेव जी मिलते थे। उन्होंने यहां अध्‍यात्‍म व धर्म की बातों के साथ मानव कल्‍याण पर चर्चाएं की।


kabir

कबीर चबूतरे के निकट ही कबीर झरना भी है। वट वृक्ष के साथ ही एक कबीर कुटिया भी है जहां कबीरदासजी की तस्वीर पूजा की जाती है। यहां एक चक्की और पाट भी रखा हुआ है। मध्‍य प्रदेश के अनूपपुर और डिंडोरी जिले के साथ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और मुंगेली की सीमाएं यहां मिलती हैं। जिसकी वजह से चारों ओर से टूरिस्ट यहां आते हैं।

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