नई दिल्ली। एक तरफ जहां जीएसटी लागू होने से मार्केट में इसके प्रभाव पर चर्चा चल रही वही दूसरी तरफ दवा डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर के बीच कंफ्यूजन की स्थिति बानी हुयी है। ये परेशानी नयी दवाओं के रेट को लेकर है। अभी दवा कम्पनिया अपने हर ब्रांड के लिए जरुरी HSN अपग्रेड नहीं करा पा रहीं है। दवा डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ये है की अब बिना HSN कोड के दवाओं की बिलिंग नहीं ही सकती। इसीलिए अब इनको नए स्टॉक की बिक्री करने में दिक्कत आ रही है।
नए स्टॉक से परहेज कर रहे है डिस्ट्रीब्यूटर्स
ऑल इंडिया आर्गेनाइजेशन ऑफ़ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के जनरल सेक्रेटरी सुरेश गुप्ता कहते है की, “HSN कोड को लेकर परेशानी शुरू हो गयी है। हर मॉलिक्यूल के लिए ड्रग रेगुलेटर एनपीए दवा कंपनियों को एक HSN कोड देती है। अभी ये कोड जीएसटी के अंतर्गत नए सिस्टम में अपग्रेड नहीं हो पाया है। जब तक दवा विक्रेताओं को ये कोड नहीं मिल जाता तब तक इन दवाओं की बिलिंग नहीं की जा सकती। ऐसे में डीलर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स अभी नया स्टॉक लेने से बच रहें है।”
रिटेलर्स निकाल रहे पुराने स्टॉक
HSN को लेकर अभी B2B बिज़नेस में परेशानी है। इस वजह से डिस्ट्रीब्यूटर के स्टॉक ख़त्म हो रहे है। हालांकि B2C में रिटेलर अपने पुराने स्टॉक तो निकाल दे रहे है। अब स्थिति ऐसी है की अगर अब डिस्ट्रीब्यूटर और डीलर्स के पास नया स्टॉक आने में अगर और देरी हुई तो मार्केट में दवाओं का शॉर्टेज हो सकता है। अभी कुछ ब्रांड्स के HSN कोड आया भी है तो उसे अभी दवा विक्रेताओं को समझने में दिक्कत आ रही है।
अभी हो रही है पुराने स्टॉक पर बिलिंग करन में दिक्कत
बहुत सारे रजिस्ट्रेशन तो करवा लिया है लेकिन अभी भी उन्हें इन्वॉइसिंग अभी स्टार्ट नहीं किया है। जीएसटी के बाद कारोबारियों को अभी पुराने एमआरपी की बिलिंग को लेकर कन्फ्यूजन है। कुछ कारोबारियों ने इस से बचने के लिए जीएसटी से ठीक पहले कम स्टॉक मनवाये थे।
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