बढ़ते ई-कचरे के प्रति भारत सरकार सतर्क, मंत्रालय ने खारिज किया एपल, नोकिया, एचपी का प्रस्ताव
नई दिल्ली। टेक उपकरण आयात को लेकर पूर्व में उठाए गए कुछ अनुचित कदमों के बाद अब केंद्र सरकार देश में बढ़ते ई-कचरों को लेकर सतर्क हो गई है। हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने दुनिया की दिग्गज टेक फर्मो एपल, आईबीएम और नोकिया को यूज्ड फोन व इलेक्ट्रॉनिक के आयात की अनुमति न देकर इन कंपनियों को बड़ा झटका दिया है। मंत्रालय ने कहा है कि पुराने इलेक्ट्रीक उपकरण, मोबाइल, सर्वर आदि के आयात से देश में बेवजह ई-कचरा बढ़ेगा, इसलिए मंत्रालय ने इन कंपनियों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
विंडोज 10 इंस्टॉल करने से पहले जान लें, नहीं मिलेंगे ये फीचरएक लाख आईफोन दुनिया की दिग्गज इलेक्ट्रोनिक उपकरण निर्माता कंपनी एपल ने एक लाख यूज्ड आईफोन और 2.5 लाख यूज्ड आई-पैड आयात की अनुमति मांगी थी, इसके पीछे कंपनी का तर्क था कि ये उपकरण कंपनी द्वारा ठीक किए गए हैं और इन पर गारंटी भी दी जाएगी। कंपनी के इस प्रस्ताव को मंत्रालय ने दो जुलाई को ही खारिज कर दिया।
क्या है मामलामंत्रालय के नोट में कहा गया है कि इस तरह के उपकरणों की लाइफ कम होती है, जिससे देश में तेजी से ई-कचरा बढ़ता है। सरकार केवल तीन साल पुराने मैन्युफैक्चर्ड उत्पादों के आयात की अनुमति देती है। इसके अलावा इनकी लाइफ पा ंच साल होनी चाहिए।
मच्छरों से लड़कर आपको मलेरिया से बचाएगा ये सॉफ्टवेयरलिया सबकपिछले कुछ सालों से टेक उपकरणों के आयात को लेकर कई तरह की अनियमित्ताएं देखने को मिली है। अक्टूबर 2014 में सरकार ने टेक कंपनी एचपी को 311,398 यूनिट (यूज्ड सर्वर, नेटवर्किüग उपकरण) के आयात की अनुमति दी थी। इसी तरह फैलेक्सोट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी को 146,954 पुरानी हार्ड डिस्क आयात की अनुमति दी थी। मंत्रालय का कहना है कि इन उपकरणों की लाइफ कम होने से देश में बड़ी संख्या में ई-कचरा बढ़ गया है।
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