भाजपा के तीन चौथाई मंत्री नहीं जता सकेंगे चुनाव में दावेदारी
भाजपा नेतृत्व पिछले तीन साल से नेताओं को नसीहत दे रहा है कि 2014 के चुनाव में हवा के रुख को बदल चुका सोशल मीडिया 2019 में भी चुनाव परिणामों को प्रभावित करेगा।
नई दिल्ली: चुनाव में पार्टी का टिकट देने के लिए भाजपा की ओर से बनाई गई सोशल मीडिया की कसौटी पर कसा जाए तो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों में से तीन चौथाई 2019 में टिकट की दावेदारी नहीं कर सकेंगे। यही स्थिति पार्टी के सांसदों की है, लेकिन अन्य दलों से तुलना की जाए तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भाजपा नेताओं की स्थिति बेहतर है।
फॉलोवर तय करेंगे आगे की राजनीति
भाजपा नेतृत्व पिछले तीन साल से नेताओं को नसीहत दे रहा है कि 2014 के चुनाव में हवा के रुख को बदल चुका सोशल मीडिया 2019 में भी चुनाव परिणामों को प्रभावित करेगा। चुनाव में टिकट की दावेदारी सूची में उन्हीं के नामों को आगे बढ़ाया जाएगा जिनके सोशल मीडिया पर कम से कम पांच लाख फॉलोअर्स होंगे। इसके लिए पार्टी का सोशल मीडिया विंग प्रत्येक छह माह में इसका विश्लेषण कर सूची जारी करता रहा है जिसमें सांसदों, पदाधिकारियों, मंत्रियों के फॉलोअर्स, उनकी ओर से दिए जा रहे संदेश की गिनती होती है।
मोदी सरकार के 24 केबिनेट मंत्रियों में से सिर्फ 9 मंत्री ही ऐसे हैं जिनके ट्विटर पर फॉलोअर्स की संख्या पांच लाख से अधिक है। इनमें प्रधानमंत्री के अलावा राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, सुरेश प्रभु, रविशंकर, स्मृति ईरानी, डॉ. हर्षवर्घन और प्रकाश जावड़ेकर शामिल हैं। पदाधिकारियों में अध्यक्ष अमित शाह के अतिरिक्त अन्य किसी के पास भी नहीं है।
कांग्रेस में अध्यक्ष सोनिया गांधी का आधिकारिक ट्विटर अकाउंट नहीं है, लेकिन पार्टी के अकाउंट के फॉलोअर्स की संख्या 21 लाख है। इसी तरह राहुल गांधी के पास भी व्यक्तिगत अकाउंट नहीं है, लेकिन उनके ऑफिस अकाउंट के फॉलोअर्स की संख्या 25 लाख से अधिक है।