scriptयहां भगवान शिव की नहीं बल्कि काल भैरव का होता है मदिरा से अभिषेक | Chhattisgarh News: Raipur - Sawan somwar: Lord shiva | Patrika News

यहां भगवान शिव की नहीं बल्कि काल भैरव का होता है मदिरा से अभिषेक

locationरायपुरPublished: Jul 19, 2017 10:27:00 am

Submitted by:

deepak dilliwar

पुरातात्विक महत्व के अनुसार भगवान विश्वनाथ का यह मंदिर राजा-महाराजाओं के
जमाने में ईटों से बना हुआ है। उसी स्थान पर अवशेष मिला था, जहां पर भगवान
शिवलिंग स्थापित है।

Lord shiva

Lord shiva

रायपुर. यहां से 18 किमी दूर आरंग के नवागांव में भी काशी नगरी है, जहां पर बाबा विश्नाथ की पूजा की जाती है। इस गांव में काशी विश्वनाथ जैसी गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यहां के लोगों का काशी नगरी से काफी लगाव है। गांव में आने पर आप बनारस जैसा ही अनुभव करेंगे। गांव में 18वीं सदी का भगवान विश्वनाथ का मंदिर आस्थ का केंद्र है। सावन मास शुरू होने के साथ ही अनेक स्थानों से श्रद्धालु भगवान का अभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना करने पहुंचते हैं। जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और रुद्राभिषेक कर अपनी मुरादें पूरी करते हैं। मान्यता है कि भगवान विश्वनाथ के दशज़्न मात्र से सभी तरह के दुख दूर हो जाते हैं।

Read more: भगवान शिव के पसीने से हुई थी वास्तुदेव की उत्पत्ति, बन गए गृह के राजा

पुरातात्विक महत्व के अनुसार भगवान विश्वनाथ का यह मंदिर राजा-महाराजाओं के जमाने में ईटों से बना हुआ है। उसी स्थान पर अवशेष मिला था, जहां पर भगवान शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के सवज़्राकार बालमुकुंद अग्रावाल बताते हैं कि आरंग के सीता बगीचा में 400 वषज़् पुराने इस मंदिर के अवशेष प्राचीनता के गवाह हैं। कभी यह स्थान साधु-संत मंदिर में आकर तंत्र-मंत्र की सिद्धि करते थे। यह स्थान सिद्धी प्राप्त करने का केन्द्र बिंदु था । यहां मंदिर में 345 वषज़् पहले तीन साधुओं ने समाधि लिया था। गभज़्गृह के पास एक गुफानुमा कमरे में आज भी वहां दिन-रात ज्योति जलती है ।

50 खंभे, 6 चक्र बढ़ाते हैं शोभा
एक समाधि बगीचे में और दूसरी समाधि तालाब के किनारे है। अग्रवाल बताते हैं कि 50 खंबे 6 चक्र शोभायमान हैं। मंदिर के गभज़्गृह में भगवान शिव, पावज़्ती के साथ रूद्र के अवतार भैरव विराजमान हंै। शिवलिंग के ऊपर गणेश जी की मनोहारी प्रतिमा का दशज़्न मंदिर में प्रवेश करते होता है।

भैरव बाबा का मंदिरा से अभिषेक
भैरव बाबा का प्रतिदिन मदिरा से भक्तों द्वारा अभिषेक किया जाता है। शिव जी की पूजा सुबह 5 बजे से आरंभ होती है, शाम को वैदिक विधान से अभिषेक किया जाता है। सावन मास और महाशिव रात्रि पवज़् पर यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है । वषज़् 2015 में 1008 शिवलिंग की स्थापना मंदिर के गभज़्गृह के सामने की गई है। वे विगत 15 सालों से निवास छोड़कर भगवान की सेवा में लगे हुए हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो