आरटीआई के तहत आईआईटी बम्बई से मिली जानकारी के मुताबिक आईआईटी बम्बई में आकाश परियोजना इसी साल 31 मार्च को बंद कर दी गई। बताया गया है कि इससे संबंधित सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया। Akash Tablet के लेटेस्ट वर्जन के बारे में सरकार को जानकारी दे दी गई है। इसके बाद अब आईआईटी बम्बई को भविष्य की योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आरटीआई के तहत आईआईटी बम्बई का कहना है कि इस महत्वकांक्षी परियोजना पर 47.72 करोड़ रूपए किए गए जिन्हें लक्ष्यों को हासिल करने में खर्च किया गया है।
योजना नहीं ले सकी सार्थक रूप
गौरतलब है कि आकाश टैबलेट परियोजना के बारे में विभिन्न वर्गो से काफी शिकायतें आती रही है कि भारत में छात्रों को सस्ते टैबलेट उपलब्ध करवाने की यह योजना सार्थक रूप नहीं ले सकी। इसके अलावा इस टैबलेट में कई कमियां बतायी गई थी। इस टैबलेट का मुद्दा 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भी उठा था।
1 लाख टैबलेट का था लक्ष्य
आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक आकाश परियोजना के तहत 1 लाख टैबलेट खरीदने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। ये टैबलेट डाटाविंड कंपनी से खरीदे गए। आईआईटी बम्बई के मुताबिक आकाश परियोजना के तहत टैबलेट के नमूनों की जांच प्रयोगशाला में की गई है। इसके तहत पूरे देश में 300 आकाश केंद्र स्थापित किए गए जो प्रमुख रूप से इंजीनियरिंग कालेज हैं। ये सभी टैबलेट स्कूलों, कॉलेजों और कुछ स्कूलों के शिक्षकों में वितरित किए गए।
पहले आईटीआई राजस्थान को मिला था दायित्व
सूचना के अधिकार के तहत आईआईटी बंबई से मिली जानकारी के मुताबिक परियोजना का दायित्व पहले आईआईटी राजस्थान को दिया गया था, लेकिन आईआईटी राजस्थान ने इसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय को वापस लौटा दिया। इसके बाद यह दायित्व आईआईटी बम्बई को सौंपा गया। आकाश टैबलेट के जांच कार्य में सीडेक ने भी हिस्सा लिया था।