खैरागढ़ और कवर्धा में कम मतदान
पिछली बार राजनांदगांव लोकसभा सीट से भाजपा ने चुनाव जीता था। यहां 8 विधानसभा को मिलाकर 1 लोकसभा क्षेत्र बना है। पिछली बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां की दो विधानसभा सीट खुज्जी और मोहला-मानपुर में बढ़त मिली थी। वर्तमान में इन दोनों सीट में कांग्रेस के विधायक है। इस बार के लोकसभा चुनाव में कवर्धा और खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में मतदान कम हुआ है। जबकि पिछली बार भाजपा को कवर्धा से 6490 और खैरागढ़ से 20 हजार 940 वोटों से लीड मिली थी। ऐसे में कम मतदान से भाजपा-कांग्रेस दोनों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
महासमुंद में रोचक मुकाबला
महासमुंद लोकसभा सीट में रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां महिला मतदाताओं ने अधिक मतदान किया है। ऐसे में इन महिलाओं का वोट भाजपा की महिला प्रत्याशी रुप कुमारी चौधरी और कांग्रेस की महालक्ष्मी न्याय योजना को भी पड़ सकता है। महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के सरायपाली, महासमुंद व धमतरी विधानसभा सीट में कम मतदान हुआ है। इसमें दो में कांग्रेस और एक में भाजपा विधायक है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ खल्लारी विधानसभा सीट से ही लीड मिली थीं। यहां नतीजों में जातिगत समीकरण की अहम भूमिका होगी। कांकेर सीट में जहां कांग्रेस के विधायक, वहां कम मतदान
कांकेर लोकसभा की सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। वर्ष 1998 से इस सीट पर भाजपा चुनाव जीतते आई है। कांकेर लोकसभा सीट के संजारी बालोद व गुंडरदेही विधानसभा सीट में पिछली बार की तुलना में कम मतदान हुआ है। इन दोनों जगहों पर कांग्रेस के विधायक है। पिछली बार के लोकसभा के चुनाव में डौंडीलोहारा से कांग्रेस को 11 हजार 370 और भानुप्रतापुर से 14 हजार 691 वोटों से लीड मिली थी। पिछली बार कांकेर लोकसभा सीट में हार-जीत का अंतर 6 हजार 914 वोटों को ही था। तीन लोकसभा सीट में से कांकेर में ही सबसे अधिक 1.96 फीसदी मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। यह हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाएगा।