28 फरवरी, 2002 को दंगाईयों ने अहमदाबाद शहर के बीचों बीच स्थित गुलबर्ग सोसायटी पर हमला कर दिया था। इसमें हमले में पूर्व सांसद अहसान जाफरी सहित कुल 69 लोग मारे गए थे। कोर्ट ने 2 जून को 66 में से 24 आरोपियों को दोषी ठहराया था। इनमें एक विश्व हिंदू परिषद का नेता भी शामिल है। कोर्ट ने मामले में षडयंत्र रचने के आरोप मानने से इनकार कर दिया और धारा-120 के तहत आरोप रद्ध कर दिए। बरी होने वालों में वर्तमान बीजेपी पार्षद बिपिन पटेल व एरिया के पुलिस इंस्पेक्टर के.जी.एरड़ा और पूर्व कांग्रेसी पार्षद मेघसिंह चौधरी शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला? 27 फरवरी 2002 में गोधरा कांड के बाद उत्तेजित लोगों ने गुलबर्ग सोसायटी में तबाही मचाई थी, जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी सहित 69 लोगों की जान चली गयी थी। अहमदाबाद शहर में हुए दंगे के बाद दंगाइयों ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला बोल दिया था, जहां कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी अपने परिवार के साथ रहा करते थे। उनतालीस लोगों के तो शव मिले भी, लेकिन बाकी तीस के शव तक नहीं मिले, जिन्हें सात साल बाद कानूनी परिभाषा के तहत मरा हुआ मान लिया गया।
मोदी पर भी आरोप लगे थे इस मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी आरोप लगे थे। 2010 में उनसे पूछताछ हुई थी। बाद में एसआईटी ने क्लीनचिट दे दी। जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें 2002 दंगों और गुलबर्ग हत्याकांड के लिए राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी 62 लोगों के साथ जिम्मेदार ठहराया था।
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