सोमवार और मंगलवार को दोनों देशों के बीच बातचीत होगी। वैसे भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सिंधु समझौते के तहत उसे जो अधिकार मिले हैं वह उन्हें नहीं छोड़ेगा। बता दें कि पाकिस्तान लगातार सिंधु नदियों से जुड़ी भारत की परियोजनाओं का विरोध करता आ रहा है। साथ ही विवाद को खत्म करने के लिए विश्व बैंक से भी मध्यस्थता की गुहार लगाता रहता है। पीएम मोदी भी इस मुद्दे पर अपनी राय रख चुके हैं।
एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू होने जा रही है। सिंधु जल आयुक्त पीके सक्सेना के नेतृत्व में 10 सदस्यीय दल पाकिस्तान पहुंच गया है, जो भारत की जल परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आशंका को दूर करने की कोशिश करेगा।
इस दल में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ-साथ तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों ने साफ कर दिया है कि बैठक के दौरान भारत के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
दरअसल, पाकिस्तान भारत की पांच जलविद्युत परियोजनाओं का विरोध कर रहा है। इनमें सिंधु नदी पाकल दुल, रातले, किशनगंगा, मियार और लोअर कालनई की परियोजनाएं शामिल हैं। पाक का कहना है कि ये परियोजनाएं सिंधु जल समझौते का उल्लंघन हैं। जबकि भारत इससे इन्कार किया है। पाकिस्तान सिंधु जल समझौते के मध्यस्थ विश्व बैंक के सामने भी यह मसला उठा चुका है। पाकिस्तान के रुख को देखते हुए बैठक से सकारात्मक नतीजे की