सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या महिलाओं को तीन तलाक को ना कहने का अधिकार दिया जा सकता है कोर्ट ने बुधवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) से पूछा था कि क्या महिलाओं को निकाह के लिए अपनी सहमति देने से पहले यह अधिकार दिया जा सकता है कि तीन तलाक से शादी तोडऩे को वह नकार दे। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने अनुशंसा की कि निकाहनामे में यह शर्त जोड़ी जा सकती है कि शौहर तीन तलाक देकर शादी नहीं तोड़ सकता।
तीन तलाक: तलाक-तलाक-तलाक लिख कर पत्नी को भेजा नोटिस सरकार की तरफ से महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सोमवार को सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि यदि शीर्ष न्यायालय तीन तलाक की प्रथा खत्म करता है तो सरकार तीन तलाक और बहुविवाह के नियमन के लिए कानून बनाने को तैयार है।
इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता सायरा बानू की तरफ से अमित चड्ढा ने पीठ के समक्ष अपनी दलील रखी। उन्होंने कहा कि उनकी राय में तीन तलाक पाप है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से मंगलवार को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तीन तलाक को 1400 वर्ष पुरानी आस्था से जुड़ी प्रथा बताया था।