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PM मोदी के सत्ता संभालने के बाद भी कम नहीं हुई आतंकी घटनाएं, आंकड़ों में जानिए मौजूदा स्थिति

हाल ही में सुरक्षा बलों पर सबसे घातक हमले में तीन दिन पहले आतंकवादियों ने पम्पोर में सीआरपीएफ के जवानों को ले जा रही एक बस पर भारी गोलीबारी की। इसमें आठ जवान शहीद हो गए और 21 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

Jun 28, 2016 / 03:20 pm

Nakul Devarshi

भारत में आतंकी घटनाएं हमेशा से ही सरकारों के लिए परेशानी का सबब रहीं हैं। सरकार चाहे किसी भी सियासी दल की रही हो आतंकी घटनाओं पर नियंत्रण पाना चुनौती बनी रहती है। मौजूदा सरकार की बात करें तो पीएम मोदी सरकार के कार्यकाल में भी आतंकी घटनाएं थमी नहीं हैं।
हाल ही में सुरक्षा बलों पर सबसे घातक हमले में तीन दिन पहले आतंकवादियों ने पम्पोर में सीआरपीएफ के जवानों को ले जा रही एक बस पर भारी गोलीबारी की। इसमें आठ जवान शहीद हो गए और 21 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह लश्कर के आतंककारियों द्वारा किया गया फिदायीन हमला था। 
कहना होगा कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के गठन के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं जैसे आतंकी हमले, घुसपैठ, सीमापार से निरंतर गोलीबारी में वृद्धि हुई है। सूत्रों के अनुसार पिछले एक साल के दौरान पाकिस्तान की तरफ से हुए सीजफ़ायर उल्लंघन और आतंकी हिंसा में 190 से ज्यादा लोगों की मौत हुई हैं। इनमे 47 सुरक्षाकर्मी और 108 आतंकी शामिल हैं। ये मौतें 15 जनवरी 2015 के बाद हुईं हैं। 
5 जनवरी 2015 से 15 जनवरी 2016 के बीच आतंक सम्बंधी 146 घटनाएं हुईं जिसमें 169 लोग मारे गए। इनमे 39 सुरक्षाकर्मी और 22 नागरिक भी शामिल हैं। इसी दौरान राज्य में सीमा पर फायरिंग की 181 घटनाएं हुईं हैं जिसमें 22 लोगों की मौतें हुईं जिनमें 8 सुरक्षाकर्मी और 75 अन्य लोग मारे गए। 
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2014, 2015 और फरवरी 2016 तक राज्य में क्रमश: 222, 208 और 21 आतंककारी घटनाएं हुर्इं हैं। हालांकि इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह दावा करते रहे हैं कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के बाद कश्मीर में घुसपैठ बहुत तेजी से घटी है। 
2013 में घुसपैठ की 297 घटनाएं हुई थीं। 2015 में ये घटकर 10 रह गईं। उनका दावा है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में भी 33 फीसदी कमी आई है।

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