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सिंधु नदी समझौता तोड़ने में आ सकती हैं ये 2 समस्याएं, इसलिए भारत ने नहीं उठाया सख्त कदम

दरअसल, इन नदियों के बीच पानी का समंदर है जिसे रोक पाना आसान नहीं है। इसके लिए भारत को बांध और कई नहरें बनानी होंगी, जिसके लिए बहुत पैसे और वक्त की ज़रूरत होगी।

उदयपुरSep 24, 2016 / 08:26 am

नई दिल्ली. उरी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से भारत ने पाकिस्तान पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भारत ने साल 1960 में हुए सिंधु समझौते को तोडऩे के संकेत दिए हैं लेकिन ऐसा करना मोदी सरकार के लिए इतना भी आसान नहीं होगा। जानकारों का कहना है कि सिंधु नदी का पानी रोका जाता है तो भारत को जोखिम उठाना होगा।
पंजाब व जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। दरअसल, इन नदियों के बीच पानी का समंदर है जिसे रोक पाना आसान नहीं है। इसके लिए भारत को बांध और कई नहरें बनानी होंगी, जिसके लिए बहुत पैसे और वक्त की ज़रूरत होगी।
इसके पर्यावरणीय प्रभाव भी होंगे। कश्मीर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शकील अहमद कहते हैं कि 90 फीसदी पाकिस्तान की प्यास इस नदी से बुझती है। अगर भारत ने इसे रोका तो भारत के हिस्से में पानी अधिक होगा। इससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा।
चीन अपनी नदियों का पानी रोक सकता है

जानकारों का कहना है कि क्या भारत इस जोखिम को उठाने के लिए तैयार है? ऐसे सवालों के जवाब खुद से पूछने होंगे। बता दें कि समझौते के तहत भारत केवल 20 फीसदी पानी ही रोक सकता है। चीन के हिस्से से भी भारत में कई नदियां आती हैं। चीन भी भारत की ओर जाने वाली नदियों को रोक सकता है।
ऐसा पहली बार नहीं है कि भारत ने सिंधु के जरिए पाक पर दबाव बनाने की कोशिश की हो। कारगिल युद्ध के दौरान भी ऐसे संकेत दिए थे। उससे पाकिस्तान दबाव में आ गया था।
उत्तम सिन्हा, इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज

भारत ने खटखटाया दुनिया का दरवाजा

भारत ने उरी घटना के 12 घंटे के अंदर सभी दक्षिण एशियाई देशों सहित विश्व के प्रमुख 15 राष्ट्रों से संपर्क कर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी, जिसकी भनक बहुत कम लोगों को लगी।
किया बेनकाब… 

इसका मकसद लाइन ऑफ कंट्रोल पर पाक की नाजायज हरकतों को घटनाक्रम के सुबूतों के आधार पर दुनिया को इत्तला करना और पाक को बेनकाब करना था। 

आतंकी राष्ट्र

यूएन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 26 सितंबर को भाषण देंगी। वहां उनकी कोशिश होगी कि दुनिया के सामने पाक आतंकी राष्ट्र बताया जाए। अन्य देशों की प्रतिक्रिया से भारत संतुष्ट है। 

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