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फेक न्यूज ने मां के मन में टीकाकरण पर डर बैठाया, बेटा दुनिया के सामने लाया सच

18 की उम्र में मीजल्स (खसरे) का टीका लगवाने वाले छात्र ने अमरीकी संसद में भाषण दिया, बोला- सोशल मीडिया पर चल रहा है टीकाकरण के खिलाफ अभियान। अमरीका के 20 राज्यों में मीजल्स के सैकड़ों मामले आ चुके हैं। टीके से बच्चों में बुखार, निमोनिया, दिमाग में सूजन जैसी समस्या की गलत बातें फैलाई जा रही हैं।

Mar 11, 2019 / 11:51 pm

manish singh

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फेक न्यूज ने मां के मन में टीकाकरण पर डर बैठाया, बेटा दुनिया के सामने लाया सच

अमरीका के ओहियो राज्य के रहने वाले 18 साल के एथैन लिंडेनबर्गर हाई स्कूल के छात्र हैं। इन्होंने अभिावकों के विचारों के खिलाफ जाकर दिसंबर में खुद का मीजल्स का टीका लगवाया था। हाल ही टीकाकरण पर अमरीकी संसद के उच्च सदन सीनेट में इन्हें भाषण देने का मौका मिला तो इन्होंने कहा कि ‘सोशल मीडिया खासकर फेसबुक ने मां के मन में यह डर बैठा दिया था कि टीकाकरण खतरनाक है पर मैंने मां की इच्छा के खिलाफ जाकर टीका लगवाया’। इनके इस बयान के बाद लोगों ने टीकाकरण को लेकर भ्रांति से उलट सोचना शुरू कर दिया है। भाषण में कहा कि टीकाकरण के खिलाफ फेसबुक और टीकाकरण विरोधी संगठनों ने परिवार की सोच बदल दी थी। वे कहते हैं कि अगर सोशल मीडिया पर ऐसा कुछ प्रसारित नहीं हुआ होता तो उनके भाई-बहन के साथ पूरे परिवार को टीके लग जाते।

क्या फेसबुक ने आपकी मां का मन बदल दिया

सीनेट में संबोधन के बाद जब एथैन से सवाल पूछ गया कि ‘क्या आपकी मां को अधिकतर जानकारी ऑनलाइन मिलती थी’। उन्होंने जवाब दिया हां और सबसे अधिक फेसबुक से। जब उनसे ये पूछा गया कि आपको टीकाकरण के फायदे के बारे में जानकारी कहां से मिली तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया ‘सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, विश्व स्वास्थ्य संगठन और वैज्ञानिक लेखों से जिसके बाद टीकाकरण कराया।


टीके और ऑटिज्म का कोई संबंध नहीं है

अमरीका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने स्पष्ट किया है कि टीकाकरण और ऑटिज्म का आपस में कोई संबंध नहीं है। सीडीसी ने जागरूकता के लिए ऑनलाइन अभियान छेड़ रखा है जिससे लोग टीकाकरण को लेकर नकारात्मक रवैया न रखें। इस मसले पर लिंडेनबर्गर की मां जिल विलर का कहना है कि एथैन को साजिश के तहत दवा कंपनियों का पोस्टर बॉए बनाया गया है।

मां को समझाना तो बहुत अधिक कठिन था

वे बताते हैं कि मां ने तय कर लिया है कि वे टीकाकरण के खिलाफ पूरी जिंदगी बोलती रहेंगी। वे समझाने के बाद भी वैसे वीडियो और पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं जिसमें टीकाकरण के खिलाफ लोग गलत बयानबाजी करते हैं। वे कहते हैं कि यह इनके लिए निराशाजनक था। इसके बावजदू अगर ये उनसे बहस करते भले ही वे सही थे तो इन्हें पता था कि उससे कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है।

भारत में टीकाकरण की कुछ ऐसी है तस्वीर

यूनाइटेड नेशन इंटरनेशनल चिल्ड्रेन इमरजेंसी फंड (यूनिसेफ) के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 90 लाख लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा जाता है। इसमें 26 लाख बच्चे होते हैं। गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण पर जोर है। भारत में सुरक्षित टीकाकरण के लिए करीब 27 हजार से अधिक कोल्ड चेन स्टोर हैं। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के अनुसार 62 फीसदी बच्चों का पूर्ण रूप से टीकाकरण होता है। मीजल्स रूबेला अभियान के तहत करीब 41 करोड़ बच्चों को टीका लग चुका है। राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तर प्रदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण को लेकर बड़ा अंतर देखा जाता है।

सीनेट में इनके भाषण पर फेसबुक ने दी सफाई

सीनेट में एथैन के भाषण के बाद फेसबुक ने सफाई देते हुए कहा है कि वह इस तरह की पोस्ट को अपने नेटवर्क से हटाएगा। साथ में ऐसी पोस्ट को पब्लिश होने से रोकने के लिए भी इंतजाम करेगा। फेसबुक की ग्लोबल पॉलिसी मैनेजमेंट की प्रमुख मोनिका बिकर्ट ने कहा है कि फेसबुक पर टीकाकरण के खिलाफ चलने वाली पोस्टों को हटाया जाएगा। साथ में लोगों को टीकाकरण के फायदे के बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने साफ कहा है कि टीके के खिलाफ फेसबुक प्लेटफॉर्म पर जो भी बोलेगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।

वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत

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