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अफ्रीका

दो हिस्सों में टूट रहा है यह महाद्वीप, आ गई मीलों लंबी दरार

अफ्रीका महाद्वीप दो हिस्सों में टूटने वाला है, यह सवाल एक बार फिर से भूगर्भ वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है.

नई दिल्लीApr 01, 2018 / 10:27 am

Manoj Sharma

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नैरोबी। अफ्रीका महाद्वीप दो हिस्सों में टूटने वाला है, यह सवाल एक बार फिर से भूगर्भ वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। इसकी वजह हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के केन्या में देखी गई एक बड़ी दरार है, जो मीलों लंबी है। दक्षिण-पश्चिमी केन्या में नजर आई इस दरार के चलते नैरोबी-नैरॉक हाईवे का एक हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया है।
भूकंप है दरार की वजह

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भूकंप की गतिविधियों के चलते यह हाईवे क्षतिग्रस्त हुआ है। भूगर्भशास्त्रियों के मुताबिक इस विशालकाय दरार ने उस सवाल को फिर से जिंदा कर दिया है कि लाखों सालों से अफ्रीका महाद्वीप दो हिस्सों में टूट रहा है।
फिलहाल ईस्टर्न अफ्रीकन रिफ्ट वैली करीब 3,000 किलोमीटर तक फैली हुई है। यह दरार उत्तर दिशा में एडन की खाड़ी से लेकर दक्षिण में जिम्बाब्वे तक है। इससे अफ्रीका महाद्वीप की धरती दो असमान हिस्सों में बंट गई है, जो सोमाली और नूबियन प्लेट हैं।
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दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका महाद्वीप हुआ था अलग

दक्षिण-पश्चिम केन्या में आई यह भारी-भरकम दरार, रिफ्ट वैली के पूर्वी हिस्से की ओर है जो इथियोपिया, केन्या और तंजानिया से लगी हुई है। ज्वालामुखी और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के चलते यह दरार संभवता बढ़कर इस पूरे महाद्वीप को दो हिस्सों में तोड़कर महासागर में एक नई घाटी (बेसिन) स्थापित कर सकती है।
यह घटना प्रत्यक्ष रूप से दक्षिण अटलांटिक महासागर में देखी जा रही है। करीब 13 करोड़ 80 लाख साल पहले दक्षिण अमरीका और अफ्रीका के टूटने के परिणामस्वरूप यह हालात बन रहे हैं। अगर इन दोनों के समुद्र तट पर नजर डालें तो एक एक ही विशालकाय महाद्वीप से टूटे हुए स्पष्ट हिस्से नजर आते हैं।
13 साल पहले आई थी दरार
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2005 में अफ्रीका महाद्वीप के इथियोपिया में 60 किलोमीटर लंबी दरार आ गई थी। यह दरार लगातार बढ़ती ही जा रही है। भूगर्भ वैज्ञानिक इस दरार को सामान्य घटना नहीं मानते हैं। उनका मानना है कि पृथ्वी पर नजर आने वाले बदलावों को सामने देखने में लाखों वर्षों का समय लगता है जबकि अफ्रीका महाद्वीप के अफार क्षेत्र में बीचे पांच वर्ष बहुत महत्वपूर्ण बदलाव वाले हैं।
बताया जाता है कि 2005 में आई यह दरार केवल 10 दिनों में ही आठ मीटर तक चौड़ी हो गई थी। इससे पृथ्वी के केंद्र में गर्म पिघली चट्टाने सतह की ओर बढ़ने लगीं और यह इस महाद्वीप को दो भागों में बांट रही हैं।

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