फिशिंग पर निर्भर हैं दोनों देश
युगांडा और कांगो की अर्थव्यवस्था फिशिंग पर निर्भर है। इस उद्योग में लगभग 7 लाख लोगों को रोजगार मिला है। युगांडा की अर्थव्यवस्था में फिशिंग का योगदान जीडीपी का 3% है। मीडिया की खबरों में कहा गया है कि युगांडा के स्थानीय लोग इन मछलियों से अपन पेट भरते हैं और बचा हुआ ज्यादातर हिस्सा निर्यात कर दिया जाता है। वहीं कांगों की अर्थव्यवस्था में फिशिंग का योगदान 8 प्रतिशत है। कांगों में लगभग 5 लाख लोग फिशिंग पर आश्रित हैं।
लेक एडवर्ड अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे छोटी झीलों में से है। इसका ज्यादा हिस्सा कांगो वाले क्षेत्र में पड़ता है। इस झील में मछलियां सबसे ज्यादा मिलती हैं। बता दें कि यह झील कांगो और युगांडा के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित है। मछली पालन ही दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है। इस झील में कैटफिश, टिलापिया और नाइल पर्च जैसी मछलियां मिलती हैं।
बता दें कि हाल के दिनों में अफ्रीकी देशों में पानी के बंटवारे के लिए संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। कांगो का युगांडा के अलावा रवांडा के साथ भी पानी को लेकर संघर्ष चल रहा है। तेजी से बढ़ती आबादी और रोजगार के सीमित साधनों के कारण लोगों की निर्भरता जल के ऊपर बढ़ रही है। ऐसे में पानी को लेकर अफ्रीका महाद्वीप में संकट गहरा गया है।