मार्च आधा गुजरते ही अंचल में जलसंकट की आहट सुनाई देने लगी है। उदाहरण मोड़ी में देखा जा सकता है।
अगार मालवा•Mar 21, 2019 / 11:24 am•
Lalit Saxena
मार्च आधा गुजरते ही अंचल में जलसंकट की आहट सुनाई देने लगी है। उदाहरण मोड़ी में देखा जा सकता है।
सुसनेर। मार्च आधा गुजरते ही अंचल में जलसंकट की आहट सुनाई देने लगी है। उदाहरण मोड़ी में देखा जा सकता है। यहां 86 लाख 58 हजार की लागत से बनी नल-जल योजना के तहत पेयजल टंकी का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है किंतु अभी तक पाइप लाइन का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। इस वजह से ग्रामीणों को योजना का लाभ मिलना शुरू नहीं हुआ है। नतीजन ग्रामीण पीने के पानी के लिए दो-दो किमी तक भटक रहे हैं।
ग्राम की आबादी 5 हजार के लगभग है। 3 हजार की आबादी पेयजल संकट का सामना कर रही है। ग्रामीण 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित निजी खेतों में कुओं और ट्यूबवेलों से पानी लाने को मजबूर हैं। अभी तक ग्राम के बाजार के कुएं से पानी भरते आ रहे थे किंतु उसमें भी जलस्तर कम हो जाने के कारण जलसंकट की यह समस्या और बढ़ गई है। ग्रामीण मांगीलाल मालवीय, डॉ. प्रभुलाल प्रजापत, जगन्नाथ गुर्जर, रवींद्र जैन, डॉ. प्रभुलाल प्रजापत, प्रदीप सिंह, मंगलेश प्रजापति आदि ने बताया कि गांव के प्रमुख जलस्रोत बाजार का कुआं 12 दिन से पानी कम हो जाने के कारण सूख गया है। ऐसे में पानी भरने वाले ग्रामीणों को 2 किलोमीटर पैदल चलकर अन्य जलस्रोतों से पानी लाना पड़ रहा है। ग्रामीणों के अनुसार ग्राम के लिए 86 लाख की नलजल योजना पीएचई के द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। पेयजल टंकी का निर्माण कार्य हो चुका है। पाइप लाइन डालने का कार्य समय पर पूरा नहीं हो सका। इससे समस्या और बढ़ गई है। पेयजल टंकी में पानी के लिए पीएचई विभाग ने गणेशपुरा बांध में ट्यूबवेल खनन भी किए थे। किंतु गणेशपुरा बांध के भी सूखने की कगार पर पहुंच जाने के कारण अब मोड़ी में जलसंकट से निपटने के लिए ग्राम से करीब 9 किलोमीटर दूर कालीसिंध नदी पर बने एक कुएं से पाइप लाइन डाली गई है। जो अभी तक ग्राम में नहीं पहुंची है। नदी के ऊपरी हिस्से में कुंडालिया बांध का निर्माण हुआ है इस वजह से नदी में पानी कम होकर गर्मी में सूख जाता है। ऐसे में योजना के शुरू होने से पहले ही यह सवाल भी उठ खडा हुआ है कि योजना कुल कितने समय तक चल पाएगी।
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