भीषण गर्मी के इस दौर में आम जनजीवन बेहाल होता जा रहा है। भीषण गर्मी के कारण मौसमी बीमारियों की चपेट में लोग आ रहे है।
अगार मालवा•Jun 09, 2019 / 12:33 am•
Ashish Sikarwar
भीषण गर्मी के इस दौर में आम जनजीवन बेहाल होता जा रहा है। भीषण गर्मी के कारण मौसमी बीमारियों की चपेट में लोग आ रहे है।
आगर-मालवा. भीषण गर्मी के इस दौर में आम जनजीवन बेहाल होता जा रहा है। भीषण गर्मी के कारण मौसमी बीमारियों की चपेट में लोग आ रहे है। सुबह से गिरने वाली तेज गर्मी से जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। नवतपा के दौरान तथा उसके बाद अचानक बढ़ी गर्मी के वजह से बुखार, उल्टी-दस्त व अन्य बीमारियों सहित २ हजार से अधिक मरीज पिछले ६ दिनों में जिला अस्पताल में अपना उपचार करा चुके हैं। तापमान में लगातार हो रहे चढ़ाव से लोग परेशान दिखाई दे रहे है। जहां कुछ दिनों पूर्व तापमान कम था और बादल छाए हुए थे और अब अचानक तापमान बढ़ गया। दोपहर के समय तापमान अधिकतम 44 डिग्री से अधिक चला जाता है। सुबह 9 से 4 बजे तक जिला अस्पताल में ओपीड़ी के समय मरीजों को कतार में लगते हुए देखा जा रहा है।
पिछले ६ दिनों की बात करें तो 2 हजार से अधिक मरीज बिमार होकर जिला अस्पताल उपचार करवा चुके हंै। भीषण गर्मी से जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। प्रतिदिन लगभग 400 से अधिक मरीज जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल प्रतिदिन मरीजों से भरा रहता है। गांव में आशा कार्यकर्ता व एएनएम के भरोसे लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल तो की जा रही है लेकिन जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है।
जिला अस्पताल में ये रही मरीजों की स्थिति
जिला अस्पताल से प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को 442, रविवार को 74, सोमवार को 514, मंगलवार को 507, बुधवार को 115 एवं गुरूवार को 507 मरीजो द्वारा जिला अस्पताल में उपचार कराया गया है। वहीं गांव में आशा कार्यकर्ता व एएनएम द्वारा लोगो का उपचार किया जा रहा है।
तेज गर्मी की वजह से मौसमी बीमारियां बढ़ी है। इसके कारण मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। गर्मी से बचाव ही इसका समाधान है। लू लगने जैसी स्थिति दिखाई देने पर तत्काल चिकित्सक परामर्श लिया जाए।
जेसी परमार, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
अरन्याकलां/शुजालपुर. एक ओर सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लाखों रुपए पानी की तरह बहा रही है लेकिन कुछ उदासीन अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही के कारण ग्रामीणों को इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण अरनियाकलां में करोड़ों की लागत से बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। यहां ना तो डॉक्टर समय पर आते हैं और नहीं स्टाफ। मरीज आते तो डॉक्टर की पूछकर चले जाते हैं। ऐसा ही नजारा शनिवार को भी देखने को मिला जब पत्रिका टीम सुबह 10 बजे यहां पहुंची तब डॉ. गायब थे, सिर्फ तीन कर्मचारी ही उपस्थित थे, यहां पर इलाज करवाने आई रोशनी बाई, हसीना बी, सुगन बाई निपानीया देव सुबह 9 बजे से डॉक्टर का इंतजार कर रही थी लेकिन 11 बजे तक डॉ. विकास गुप्ता के नहीं आने के कारण इनको बिना इलाज करवाए लौटना पड़ा। डिलिवरी रूम में संजना मालवीय 2 दिन से भर्ती है उनके द्वारा भी बताया कि मुझे ना तो नाश्ता दिया जा रहा है नहीं खाना। उल्टियां हो रही लेकिन मुझे देखने वाला यहां पर कोई नहीं। यह अस्पताल है या जेलखाना, जबकि 1 जून से सरकार ने सुबह 9 से शाम 4 बजे तक समस्त स्टाफ को उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं लेकिन मुख्यमंत्री का आदेश भी यहां के कर्मचारी व डॉक्टर हवा में उड़ा रहे हैं। डॉक्टर व स्टाफ के लिए रूम बने हैं, लेकिन वह देखरेख के अभाव में खंडहर हो रहे हैं। लाखों की स्वास्थ्य संबंधित सामग्री लापरवाही से बिखरी पड़ी जो खराब होने की कगार पर है।
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