टोंक विधानसभा क्षेत्र में यूं तो प्रधानमंत्री ग्रामीण गौरव पथ का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन ये पथ अभी पूरी पंचायतों में नहीं पहुंच पाया है। टोंक विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 44 स्थित अहमदपुरा गांव में सडक़ तो हैं, लेकिन वह नाम मात्र की है। गांव की गलियों में तो सडक़ों का निर्माण तक नहीं कराया गया। जबकि इस गांव के बूथ ने भाजपा को जीत दिलाने में बढ़-चढ़ कर मतदान किया था। ऐसे ही हालात बूथ संख्या 38 वाले बरवास, बूथ संख्या 46 डारडाहिन्द, बूथ संख्या 53 तथा बूथ संख्या 71 सांखना हैं। इनमें से कुछ गांवों में सडक़ों का निर्माण कराया गया, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों को कच्ची राह से गुजरना पड़ रहा है। यहां पेयजल समस्या भी विकट है। बीसलपुर बांध का पानी अभी तक पहुंचा नहीं है।
मालपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा को घारेड़ा, तेजाजी का चौक टोडारायसिंह, भांसू तथा रीण्डल्या बुजुर्ग बूथ पर सर्वाधिक मत मिले। बीसलपुर नजदीक होने पर भी 24 घंटे में एक बार पानी मिल पा रहा है। सडक़ें नहीं बनी हुई है। इधर, कांग्रेस के बूथ संख्या 234, 236 व 237 स्थित नागौरी मोहल्ला, इमाम चौक, जुलाहा मोहल्ला, फूट्यादेवरा समेत अन्य प्रभावित वार्ड में विकास कार्यों की उपेक्षा की गई है। वार्डों में आज भी 48 घंटे जलापूर्ति हो रही है। डिग्गी में कराए गए विकास कार्यों में बिना योजना के किए जा रहे हैं। पालिकाध्यक्ष व बोर्ड की खींचतान के बीच वार्ड 5 ही नहीं अन्य वार्ड भी विकास में फिसड्डी है।
भाजपा के गढ़ रहे दतवास, कठमाणा, सीतारामपुरा, प्यावड़ी, अनवर नगर, हमिरिया बूथ के गांवों में पेयजल, ढीले तारों तथा रास्तों में जमा कीचड़ समेत मुख्य मार्गों पर सडक़ अभाव की समस्या है। उक्त क्षेत्रों में चिकित्सा, पानी एवं सडक़ों की व्यवस्था नहीं होने से लोगों अब भी सुविधाओं के इंतजार में है। गांव गुढा आनन्दपुरा गांव जयसिंहपुरा, बड़ागांव, गांव रजवास में कांग्रेस को मतदाताओं ने जम कर मतदान किया, लेकिन हालातों में कोई सुधार नहीं हुआ। हारने के बाद प्रत्याशियों ने समारोह में शिरकत करने के अलावा सुध नहीं ली। पंचायत की रोड लाइटें कई वर्षो से बंद है। चिकित्सक की कमी के चलते गांव वासियों को निवाई जाना पड़ता है। सडक़ों का अभाव है।
देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र का बूथ 6 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नासिरदा है। जहां गत चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी को सर्वाधिक 614 मत मिले। कार्यकाल पूरा होने वाला है, लेकिन समस्याओं का निराकरण नहीं हो सका। देवली शहर का बूथ 46, यहां कांग्रेस को सर्वाधिक 451 मत मिले। उक्त बूथ शहर का गौतम आश्रम है। जहां पराजित रहे प्रत्याशियों ने भी जमकर वादे किए, लेकिन साढ़े 4 वर्ष बीतने के बाद भी किसी नेता ने मतदाताओं की संभाल नहीं की। इधर, दूनी बूथ के मतदाताओं ने भाजपा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने वादों पर ध्यान नहीं दिया। इसी प्रकार निवारिया के बूथ में मतदाताओं ने कांग्रेस को बढ़त दिलाई, लेकिन साढ़े चार साल में कांग्रेस के पदाधिकारियों ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली।
गणेश माहुर, भाजपा, जिलाध्यक्ष विधायकों ने विकास में भेदभाव किया है। कांग्रेस को जिन बूथों पर अधिक वोट मिले थे। वहां विकास कार्यों में उपेक्षा बरती गई है।
लक्ष्मण सिंह गाता, कांग्रेस जिलाध्यक्ष