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अगार मालवा

दो नदी किनारे बसे इस गांव के लोग क्यों वंचित इस सुविधा से

सुसनेर विधाससभा क्षेत्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत होने के बावजूद यहां के बाशिंदे जलसंकट भोगने को मजबूर हैं। यदि जिम्मेदार समय पर नहीं चेते तो पानी को लेकर हाहाकार मच सकता है।

अगार मालवाMar 27, 2019 / 12:48 am

Ashish Sikarwar

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सुसनेर विधाससभा क्षेत्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत होने के बावजूद यहां के बाशिंदे जलसंकट भोगने को मजबूर हैं। यदि जिम्मेदार समय पर नहीं चेते तो पानी को लेकर हाहाकार मच सकता है।

डोंगरगांव. शंकर कारपेंटर
सुसनेर विधाससभा क्षेत्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत होने के बावजूद यहां के बाशिंदे जलसंकट भोगने को मजबूर हैं। यदि जिम्मेदार समय पर नहीं चेते तो पानी को लेकर हाहाकार मच सकता है। गांव के आसपास के सभी कुएं-बावड़ी जलस्तर गिरने के चलते ग्राम की जल-नल योजना में जहां कम दबाव के चलते नलों में पानी नहीं आ रहा है, ऐसे में लोग नलों में खेंचू लगाकर पीने का पानी खींच रहे हैं। वहीं तीसरे दिन जलापूर्ति हो रही है। गांव की आबादी लगभग 10000 है और दो पेयजल योजना के तहत टंकियां बनी हुई हैं। बावजूद ग्रामीणों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते अभी मार्च में लोग जलसंकट भोग रहे हैं।
टोंटियां नहीं होने से बहता है पानी
नए व पुराने मिलाकर ११५६ नल कनेक्शन हैं। एक दशक से पूर्व नलों में पानी की कमी के चलते पानी कम आने की समस्या के कारण उपभोक्ताओं ने नलों से टोंटियां निकाल ली गई, तभी से टोंटियां नहीं लगाई गईं। ऐसे में कुछ लोगों के नलों में से पानी व्यर्थ बहता है। ग्राम पंचायत द्वारा सभी उपभोक्ताओं को समय-समय पर नलों में टोंटियां लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन किसी ने टोंटियां नहीं लगाईं। गांव में 20 वार्ड हैं, लेकिन कई में आज भी पर्याप्त पानी नहीं मिलता है। इसके चलते लोग दूरदराज से लोग कुएं-बावडिय़ों, हैंडपंपों पर पहुंचकर साइकिल, बाइक के साथ सिर पर महिलाएं पानी लाकर परिजनों के कंठ तर कर रही हैं। कई लोग वर्षों से टैंकर से पानी खरीदने को मजबूर हैं।
एक नल-जल योजना पहले से ही कांग्रेस शासन के दौरान तत्कालीन विधायक वल्लभ अंबावतिया ने बनवाई थी। उस समय यह योजना ग्रामीणों के लिए पर्याप्त थी, लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई, वैसे-वैसे पानी समस्या बढ़ती गई। इसी को लेकर ग्रामीणों ने भाजपा शासन के दौरान एक और नल-जल योजना की मांग की। इसकी स्वीकृति विधायक रहे मुरलीधर पाटीदार ने करवाई और डेढ़ करोड़ की लागत से बनवाई, लेकिन उस योजना ने गर्मी आने से पहले ही दम तोड़ दिया। इससे लोगों को जलसंकट से दो-चार होना पड़ रहा है।
यह सही बात है कि गांव में अभी से जलसंकट गंभीर हो रहा है। उसी आशंका के चलते उससे निपटने के लिए उपाय शुरू कर दिए हैं। इसी को लेकर पंचायत व पीएचइ आने वाले जलसंकट के लिए कार्ययोजना तैयार करने में लगे हैं। समस्या के स्थायी हल के लिए कलेक्टर से विशेष चर्चा की जाएगी, ताकि भविष्य में ग्रामीणों को जलसकंट से जूझना न पड़े।
बालचंद शर्मा, सचिव ग्राम पंचायत
हमारे मोहल्ले में नहीं के बराबर नलों से जलापूर्ति हो रही है। इसके चलते पानी के लिए हमें भटकना पड़ रहा है।
अशोक शर्मा, डोंगरगांव
गांव के एक तरफ कालीसिंध तो दूसरी ओर चंवली नदी निकली है। बावजूद हम लोग वर्षों से पानी जैसी समस्या से जूझ रहे हैं।
सुभाषचंद शर्मा, पूर्व नगर कांग्रेस अध्यक्ष

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