सुप्रीम कोर्ट ने हरिजन एक्ट (Harijan Act) में तत्काल गिरफ्तारी रोकने के लिए निर्देश दिए थे। इसके बाद दो अप्रैल को दलितों ने Bharat Bandh रखा और सरकार को इस एक्ट में संशोधन के लिए बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया। सरकार ने राज्यसभा और लोकसभा में इस एक्ट का संशोधन दिया तो अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद इस एक्ट के विरोध में उतर आया। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सुमन गुप्ता के निर्देशन में पूरे प्रदेश के व्यापारी वर्ग के साथ-साथ सर्व समाज के लोग भी इस एक्ट के विरोध में उतर खड़े हुए। इसके काला कानून का नाम दिया गया। अब 6 सितंबर को अखिल भारतीय वैश्य परिषद ने Bharat Bandh में समर्थन का एलान किया है। इस बंद को सफल बनाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के पदाधिकारी विनय अग्रवाल का कहना है कि सवर्ण को भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक कहा जाता है। सवर्ण यदि किसी दूसरे दल को भी वोट दे तब भी उसे भाजपा का वोटर की कहा जाएगा। एससी एसटी एक्ट में संशोधन लाकर सवर्णों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने सबसे बड़ी मुसीबत खड़ी की है। सवर्णों की दुकानों पर दलित समाज के लोग काम करते हैं। यदि कभी भी किसी कारणवश कोई बात होती है तो दलित समाज सवर्ण समाज को जीने नहीं देगा। छोटी छोटी बातों पर एफआईआर करा दी जाएगी। सवर्ण समाज जेल की सलाखों के अंदर ही जिंदगी काटेगा।
वहीं परिषद के पदाधिकारी राजीव अग्रवाल का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द इस एक्ट में संशोधन पर विचार करना होगा। यदि सरकार ने देर कर दी तो लोकसभा चुनाव 2019 के लिए उसे देर हो जाएगी।