छदामीलाल जैन मंदिर में उत्तर भारत की सबसे ऊंची और देश की पांचवीं सबसे बड़ी भगवान बाहुबली की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर जितना रमणीय हैख् उससे कहीं अधिक रोचक भगवान बाहुबली की प्रतिमा का इतिहास है। छदामी लाल जैन मंदिर शहर के प्रमुख जैन तिराहा पर स्थित है। वास्तुकला में यह मंदिर देश के प्रमुख मंदिरों में माना जाता है। अन्य प्रांतों से पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं। मंदिर में स्थापित भगवान बाहुबली की प्रतिमा उत्तर भारत की सबसे बड़ी प्रतिमा है।
42 फीट शिलालेख की इस प्रतिमा को कर्नाटक के कारकल से यहां सेठ छदामीलाल ने मंगाया था। 64 पहियों की स्पेशल ट्राॅली द्वारा यह प्रतिमा कारकल से यहां साढ़े तीन माह में आ सकी थी। स्पेशल ट्राॅली को खींचने के लिए चार ट्रैक्टर मंगाए गए थे। वर्ष 1975 में 130 टन वजन की इस भव्य प्रतिमा की जब स्थापना हुई तब पूरे देश से पांच लाख से अधिक लोग सुहागनगरी में आए थे। तत्कालीन उपराष्ट्रपति बीडी जत्थी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
यह जैन मंदिर दस साल में संगमरमर के पत्थर से बनकर तैयार हुआ था। सेठ छदामीलाल ने वर्ष 1947 में ट्रस्ट की स्थापना की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत भी इस पंचकल्याण महोत्सव में शामिल हुए थे। इस मंदिर को बनवाने के लिए जसपुर से जयपुर से कारीगर बुलाए गए थे। 1961 में भगवान महावीर की प्रतिमा का पंचकल्याणक हुआ।