राजकुमार चाहर ने कहा कि वे राजनैतिक रूप से भाजपा के कार्यकर्ता हैं और रहेंगे, लेकिन अब वे एक उद्देश्य, एक लक्ष्य, एक विचार को लेकर कार्य करेंगे। किसान समाज का लम्बे समय से शोषण होता चला आ रहा है। इस शोषण के खिलाफ, उनके हक व अधिकारों की लड़ाई लड़ना अब मकसद है। उन्होंने कहा कि अब राजनैतिक पद, प्रतिष्ठा की अभिलाषा नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2008 में उन्होंने किसान सेना का गठन किया था। अब किसान सेना को मजबूती प्रदान करेंगे। ग्राम पंचायत स्तर तक संगठनात्मक अस्तित्व अगले छह माह में तैयार करेंगे। विभिन्न समाजों को जाति पाति के स्थान पर किसान समाज का रूप देंगे। एकजुट व संगठित कर उनके अधिकारों के लिए जागृत कर संघर्ष करेंगे।
उन्होंने कहा कि किसान की फसल की लागत का दो गुना लाफ मिल सके, विभिन्न फसलों की उपज का लाभगारी खरीद मूल्य तय कराने, आलू किसानों को लाभ दिलाने, घटती खेती, बढ़ती बेरोजगारी के दौर से किसान गुजर रहा है, उसके पास रोजगार का एक मात्र साधन दूध का खरीद रेट 40 से 45 रुपये प्रतिलीटर कराने, बेरोजगार नौजवानों को बेरोजगारी भत्ता दिलाने, गरीब मजदूर किसानों के परिवारीजनों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज फ्री हो आदि किसान व मजदूरों के हितों के लिए कार्य करेंगे।
पत्रकार वार्ता में उनका दर्द भी छलका। राजकुमार चाहर का कहना था कि 3 विधानसभा चुनाव हुए। उनकी इच्छा थी कि विधायक बनकर किसानों की सेवा करें, लेकिन शायद यह उनकी किस्मत में नहीं है। इसलिए वह एक बार फिर किसान सेना के संयोजक होने के नाते किसानों की सेवा में जुड़ेंगे।