वर्ष 2005 में गंगाजल प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था। प्रोजेक्ट बुलंदशहर के पालड़ा फाल से गंगाजल को पाइप लाइन के द्वारा आगरा लाया जाना है। करीब ढाई हजार करोड़ रुपये वाले प्रोजेक्ट को मार्च 2016 में पूरा होना था, लेकिन कार्य की रफ्तार धीमी है। इसके चलते दो बार तारीख बढ़ानी पड़ी। अब ये प्रोजेक्ट वर्ष 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है। उधर गंगाजल प्रोजेक्ट के तहत पाइप लाइन बिछाई गईं थी, वो भी बड़ी संख्या में टूट चुकी हैं और जो बची हैं, उनकी हालत जर्जर है।
जल निगम की 400 से अधिक मिनी पाइप लाइन पेयजल योजनाएं फंड नहीं मिलने से अधर में लटकी हैं। जिनके आगामी 100 दिन में पूरा होने की कोई उम्मीद नहीं। सूबे की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने जल निगम को 100 दिन का समय मिला है। बंद पड़ी पेयजल योजनाएं शुरू करने और प्यासे लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए। फतेहाबाद, सदर, बाह, खेरागढ़ और एत्मादपुर में 400 से अधिक पेयजल योजनाएं पिछले एक साल से बंद पड़ी हैं।
वैसे तो आगरा में हर समय पानी की किल्लत रहती है, लेकिन सबसे अधिक आफत गर्मियों के दिनों में रहती है। हालत ये है कि पानी को लेकर हुए झगड़ों में यहां कई हत्याएं भी हो चुकी हैं। आगरा में आज भी कुछ ऐसी जगह हैं, जहां पानी खरीदकर पिया जा रहा है। गंगाजल का लोगों को इंतजार है। ऐसे में भाजपा ने एक वादा किया है, कि पानी फ्री में दिया जाएगा। जब आगरा में पानी है ही नहीं, तो फ्री में पानी कहां से मिलेगा।