सम्मेलन युवा भ्रूणविज्ञानियों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि देखा जाए तो यह सम्मेलन उनके लिए ज्ञान का भंडार है। आयोजन अध्यक्ष डा. अनुपम गुप्ता ने कहा कि साक्ष्य आधारित शिक्षण अब चिकित्सकीय सम्मेलनों की प्रमुखता में से एक है। युवा इसार तमाम युवा भ्रूणविज्ञानियों के लिए एक मंच है जो उन्हें साक्ष्यों और तथ्यों को जानने-समझने के साथ ही अपने संदेह और प्रश्नों को अच्छे से स्पष्ट करने का अनुभव प्रदान करता है। संरक्षक डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि ‘बेहतर अभ्यास की ओर‘ की थीम पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में ज्वलंत विषयों पर मास्टर लास, तकनीकी सत्र, पोस्टर प्रजेंटेशन, पैनल डिस्कशन, लाइव वोटिंग, वीडियो पेपर प्रस्तुतीकरण, कार्यशालाएं होंगी। देश के प्रख्यात आईवीएफ विशेषज्ञों के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय फैकल्टी में इजरायल के प्रो. एरियल विसमैन और प्रो. ड्राॅर मैरो, आस्ट्रेलिया की प्रो. सुजैन जाॅर्ज, प्रो. अंजू जोहम, प्रो. विजयसारथी रामानाथन और इंडोनेशिया के प्रो. इवान सिनी, इजिप्ट के डा. ओसामा शाॅकी आदि शामिल हैं।
इस दौरान इसार कीं अध्यक्ष डॉ. जयदीप मल्होत्रा, संस्थापक अध्यक्ष डॉ. महेंद्र एन पारीख, आयोजन अध्यक्ष डॉ. अनुपम गुप्ता, संरक्षक डॉ वरूण सरकार, डॉ. चंद्रावती, आयोजन सचिव डॉ. निहारिका मल्होत्रा बोरा, डॉ. अमित टंडन, डॉ. शैली गुप्ता, डॉ. राखी सिंह, डॉ. केशव मल्होत्रा, वाइस चेयरपर्सन डॉ. साधना गुप्ता, डॉ. नीलम ओहरी, डॉ. बेबू सीमा पांडे, डॉ. राजुल त्यागी, सचिव डॉ. एस कृष्णकुमार, कोषाध्यक्ष डॉ. केदार गनला, अध्यक्ष निर्वाचित डॉ. प्रकाश त्रिवेदी, पूर्व अध्यक्ष डॉ. रिश्मा पाई, उपाध्यक्ष डॉ. नंदिता पल्सेत्कर, उपाध्यक्ष द्वितीय डॉ. अमीत पटकी, एंब्रियोलाॅजी के चेयरमैन डॉ. सुदेश कामत, संयुक्त सचिव डॉ. सुजाता कर, डॉ. आरबी अग्रवाल, डॉ. आशा बक्शी, डॉ. ए सुरेश कुमार, डॉ. दुरू शाह, डॉ. ऋषिकेश डी पाई, डॉ. मनीष बैंकर, डॉ. धीरज गाड़ा, डॉ. साधना देसाई, डॉ. कामिनी राव, डॉ. फिरोजा पारीख आदि मौजूद थे।
इसार की अध्यक्ष डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि भारत में लगभग 15 प्रतिशत दंपति बांझपन के शिकार हैं। इनमें बहुत कम लोग हैं जो इसका सही उपचार करा पाते हैं। संतान न होने के कारण न केवल महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है बल्कि उनके अभिभावकों को इलाज के लिए काफी खर्च भी उठाना पड़ता है। ऐसे में आईवीएफ तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है।
संरक्षक डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि आधुनिक दौर में एडवांस्ड फर्टिलिटी सेवाएं वाजिब कीमत पर निजी अस्पतालों व क्लीनिकों में उपलब्ध हैं। इसकी जानकारी लोगों को होना जरूरी है। बांझपन भी एक समस्या है, जिसका समय पर इलाज करवाना चाहिए। बांझपन का इलाज भारत के गांव-गांव तक पहुंचना चाहिए और वहां लोगों को इसकी जानकारी भी होनी चाहिए।
हिस्टेरोस्कोपी (दूरबीन द्वारा स्पेशल तकनीक) के विश्व प्रसिद्ध डॉ. ओसामा शाॅकी ने बताया कि इस नवीन तकनीक से महिला रोगियों की बांझपन सहित तमाम बीमारियों का इलाज बिना आॅपरेशन करने में मदद मिलती है। इससे बच्चेदानी की जांच से उपचार में आसानी होती है, जिसमें बांझपन, महिला को मासिक माहवारी समय पर न आना, बच्चेदानी में रसौली, ट्यूब बंद होना आदि अन्य बीमारियों की जांच कर मरीज को इलाज में बहुत फायदा होता है और बिना वजह आॅपरेशन की तकलीफ से बचा जा सकता है।
डा. एरियल विसमैन ने बताया कि लेब्रोरेटरी में तैयार भ्रूण को फाइन प्लास्टिक ट्यूब के जरिए महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। इसमें स्टैंडर आईवीएफ और इक्सी और इस्सी पद्धति की मदद ली जाती है। यह सारी प्रक्रिया कुदरती तरीके से होती है, जिससे एक स्वस्थ शिशु का जन्म कराया जाता है।