रेडिको की ओर से अध्यक्ष के0सी0 जैन द्वारा भेजे गये सुझाव पत्र में यह उल्लेख किया गया कि यह सर्वविदित है कि देश भर में रीयल एस्टेट सेक्टर भारी मंदी के दौर से गुजर रहा है। अचल सम्पत्तियों की वास्तविक बाजारी दरों में कम से कम 20 से 30 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है और खरीदारों की बाजार में कमी है। केन्द्र सरकार द्वारा रीयल एस्टेट सेक्टर में देशव्यापी मंदी की चुनौती का सामना करने हेतु आर्थिक पैकेज भी दिये जाने का विचार भी प्रस्तावित है। देश के अनेक राज्यों में अचल सम्पत्ति के मूल्यों में आयी गिरावट के कारण स्टाम्प अधिनियम के अंतर्गत सर्किल दरों में कमी की गयी है।
पत्र में यह भी उल्लेख किया कि आगरा जनपद पर्यावरणीय दृष्टि से अति संवेदनशील है व ताज ट्रिपेजियम जोन (टी0टी0जेड) का भाग है, जहां केन्द्र सरकार के पर्यावरण मन्त्रालय द्वारा उद्योगों की स्थापना एवं क्षमता विस्तार पर 08 सितम्बर 2016 को रोक लगा दी गयी थी, जिसके कारण आगरा जनपद में कोई नये उद्योग, होटल, अस्पताल, शीतगृह, बड़ी आवासीय योजनायें (5000 वर्गमीटर कवर्ड एरिया से बड़ी) अनुमन्य नहीं है, जिसके चलते आगरा जनपद में विकास का पहिया विगत 3 वर्षों से पूरी तरह से रुका पड़ा है। बेरोजगारी भी बेतहाशा बढ़ रही है। केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्रालय की तदर्थ रोक के कारण आगरा का नया सिविल एनक्लेव व प्रधानमन्त्री आवास योजना भी नहीं चल पा रही है। नगर निगम की ”वेस्ट टु एनर्जी प्लान्ट“ परियोजना भी रुकी पड़ी है। केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्रालय की उक्त तदर्थ रोक के कारण भी आगरा जनपद की भूमियों व सम्पत्तियों का कोई भी क्रेता नहीं है और मूल्यों में भारी गिरावट है।
श्री जैन का कहना है कि इसके बाद भी आगरा के स्टाम्प एवं निबन्धन विभाग द्वारा 20 प्रतिशत सर्किल दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। वस्तुतः आगरा जनपद की भूमि व सम्पत्तियों की दरों में वृद्धि के स्थान पर कमी होनी चाहिये। रेडिको उपाध्यक्ष सुशील गुप्ता ने यह भी कहा कि यदि सर्किल दरों को बढ़ाया जाता है, तो स्टाम्प शुल्क के रूप में प्राप्त होने वाले राजस्व की हानि तो होगी ही, उसके साथ-साथ जो कुछ नगण्य विकास आगरा में हो रहा है, वह भी पूरी तरह अवरुद्ध हो जायेगा।