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आगरा

साल भर जीएसटी की जटिलताओं में उलझे रहे व्यापारी

जीएसटी लगने के बाद व्यापारियों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन व्यापार कम हुआ है

आगराJun 30, 2018 / 06:27 pm

अभिषेक सक्सेना

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बरेली। टैक्स चोरी रोकने और महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए लागू किया गया वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक साल बाद भी हालात में कोई बदलाव नहीं ला सका है। साल भर व्यापारी जीएसटी की जटिलताओं में उलझा रहा। केंद्र और राज्य सरकार के विभाग इसे पूरी तरह से लागू नहीं करा पाए और कारोबार में परेशानी बढ़ गई। आधी अधूरी व्यवस्था से जनता, व्यापारी और उद्यमी सभी परेशान है। जीएसटी लगने के बाद व्यापारियों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन व्यापार कम हुआ है।
घट गया व्यापार
जीएसटी लागू हुए एक जुलाई को एक साल पूरा हो जाएगा। इस एक साल के दौरान जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों की संख्या में तो इजाफा हुआ है, लेकिन व्यापारियों का व्यापार कम हो गया है। करीब 25 प्रतिशत व्यापारी रिटर्न दाखिल नही कर रहे हैं। इससे राजस्व भी घटा है। हालांकि प्रदेश में 20 प्रतिशत राजस्व बढ़ने का दावा किया जा रहा है। जीएसटी में बरेली में कुल 22186 व्यापारी पंजीकृत हैं, जिनमें से 9460 सेंट्रल जीएसटी में जबकि 12726 स्टेट जीएसटी में रजिस्टर्ड है। इसके पहले पंजीकृत व्यापारियों की संख्या 14650 थी।
रिटर्न नहीं जमा कर रहे व्यापारी
जीएसटी लागू होने के बाद सेंट्रल जीएसटी में 1892 ऐसे व्यापारी हैं, जिन्होंने पंजीकरण के बाद टैक्स नहीं जमा किया है। यह कुल व्यापारियों का करीब 20 प्रतिशत है, जबकि स्टेट जीएसटी में 3817 व्यापारियों ने अपना रिटर्न नहीं जमा किया है। ये कुल व्यपारियों का करीब 30 प्रतिशत है। एकमुश्त समाधान योजना के तहत सेंट्रल जीएसटी के 3036 व्यापारियों ने जबकि स्टेट जीएसटी में 3672 व्यापारियों ने इसका लाभ उठाया था। इस तरह से देखा जाए तो अभी भी बहुत से व्यापारियों ने टैक्स नहीं जमा किया है।
क्या बोले व्यापारी

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री राजेन्द्र गुप्ता ने पत्रिका से बात करते हुए बताया कि जीएसटी लगने के बाद ये साल व्यपारियों के लिए मुश्किलों भरा रहा है। इसकी प्रणाली काफी जटिल थी और रिटर्न दाखिल करना बहुत मुश्किल भरा काम है। इसमें कई बार नियम बदले गए और टैक्स स्लैब अभी भी ज्यादा है। जीएसटी लगने के बाद कारोबार कम हुआ है। रुहेलखण्ड उद्योग व्यापार मण्डल के महानगर अध्यक्ष विशाल मल्होत्रा का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद व्यापार में बढ़ोत्तरी तो नहीं हुई, लेकिन व्यापारी साल भर टेंशन में रहा। इसमें जटिलताएं बहुत थीं, जिसके कारण व्यापारी परेशान रहा। यहां तक कि अफसरों को भी इसकी पूरी जानकारी नहीं है। जीएसटी लगने के बाद कारोबार कम हुआ है।
जनता को नहीं मिला लाभ
क्रेडाई के अध्यक्ष और रियल स्टेट कारोबारी रमनदीप सिंह का कहना है कि जीएसटी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। बिल्डिंग मैटेरियल के ज्यादातर सामान पर 28 प्रतिशत टैक्स है, जिससे मकान बनाने की लागत बढ़ी है और कारोबार कम हुआ है। वहीं इस टैक्स से जनता को भी जो लाभ मिलना चाहिए था वो नहीं मिल पा रहा है। डॉक्टर अतुल अग्रवाल का कहना है कि व्यापारी आसानी से जीएसटी का बिल नहीं देते है,जिससे जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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