लोकसभा चुनाव में माया और अखिलेश के साथ अजित सिंह का पैक्ट होने के बाद कांग्रेस ये मानकर चल रही है कि अब यूपी में चुनाव अकेले ही लड़ा जाएगा। इसके लिए आने वाले दिनों में गांवों में पिछड़ों के बीच काम शुरू हो रहा है। इसे ‘ग्राम प्रधान’ नाम दिया गया है। गौरतलब है कि पिछड़ा वर्ग का वो हिस्सा जो गठबंधन से असहज होगा, वह कांग्रेस के पाले में आ सकता है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष दुष्यंत शर्मा का कहना है कि ‘ग्राम प्रधान’ के जरिए वंचित, शोषित और गैर यादव ओबीसी वोटरों पर काम करने के लिए कांग्रेस हर गांव में अपना प्रतिनिधि तैनात करेगी। फरवरी महीने तक ग्राम प्रधान की तैनाती की जाएगी। गांव में तैनात होने वाले ‘ग्राम प्रधानों’ का काम होगा कि वे गांव में रहने वाले ओबीसी वर्ग के लोगों के बराबर संपर्क में रहे और कांग्रेस पार्टी की नीतियों से अवगत कराएं।
कांग्रस पार्टी के पास उसका अपना वोट बैंक है। इस बार गठबंधन से इतर कांग्रेस पार्टी गैर यादव समाज को अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रही है। यदि ऐसा होता है तो ये गठबंधन के लिए कड़ी चुनौती साबित होगा और कांग्रेस के लिए एक बड़ी कामयाबी। कांग्रेस के बनाए गए ‘ग्राम प्रधान’ चुनाव में असर डालने के लिए तैयार किए जाएंगे। इनका काम होगा कि वे चुनाव के वादे से लोगों को अवगत कराएं। राहुल गांधी की रैली में भीड़ बढ़ाने के लिए भी इनकी भूमिका रहेगी। बता दें कि आगामी माह में राहुल गांधी आगरा सहित कई स्थानों पर रैली करेंगे। कांग्रेस ने जिला और ब्लॉकों में इसके लिए कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा रही है।