ज्योतिषाचार्य डॉ.अरविंद मिश्र का कहना है कि चातुर्मास 23 जुलाई से शुरू होंगे और 19 नवम्बर तक रहेंगे। देवशयनी एकादशी के रूप में इस दिन को जाना जाता है। भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। चातुर्मास के समय मांगलिक कार्यों को नहीं करने की मान्यता है। शादी विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश आदि कार्य इन दिनों नहीं होते हैं। 19 नवंबर को कार्तिक देवोत्थानी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन देव जागते हैं और फिर शुरू हो जाता है मांगलिक कार्यों का सिलसिला। चातुर्मास के दिन साधु संतों के लिए कड़े होते हैं। नियमों का पालन करने वाले संत इन दिनों जमीन पर सोना पसंद करते हैं और अधिकतर समय मौन धारण करना पसंद करते हैं।
ब्रज में चातुर्मास का अत्यंत महत्व माना गया है। मथुरा वृंदावन में श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ यहां उमड़ती है। मान्यता है कि देवकी और वासुदेव ने तीर्थ यात्रा की इच्छा जाहिर की थी जिसके बाद माता पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में सभी देवों के आने का आह्वान किया था। तभी से ब्रज में देवी देवताओं का वास हुआ और चौरासी कोस की परिक्रमा शुरू हुई। ब्रज में चातुर्मास के दिनों कृष्ण भक्तों की भीड़ उमड़ती है।