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अहोई अष्टमी पर संतान प्राप्ति के लिए मथुरा में लग रही आस्था की डुबकी

locationआगराPublished: Oct 28, 2021 02:51:14 pm

Submitted by:

arun rawat

— राधारानी कुंड में स्नान करने के लिए पहुंचे श्रद्धालु, आज के दिन को लेकर लोगों के हैं अलग—अलग विचार।

Radhakund

राधाकुंड पर जुटी श्रद्धालुओं की भीड़

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मथुरा। यूपी के मथुरा को यूं ही कान्हा की नगरी नहीं कहा जाता। यहां की हर स्थली पर चमत्कार और विश्वास है। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली और कर्मस्थली के रूप में इस बृज क्षेत्र को जाना जाता है। आज अहोई अष्टमी का पर्व है। आज के दिन माताएं अपने बच्चों की सलामती के लिए व्रत रखती हैं तो वहीं जिन महिलाओं के संतान नहीं होती। वह राधाकृष्ण कुंड में स्नान कर संतान प्राप्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई।
भगवान श्रीकृष्ण ने चार वर्ष की आयु में राधाकुंड के तट पर अपनी लीलाओं के मध्य राधाकुंड और श्यामकुंड का निर्माण किया था। पुराणों में लिखा है कि कार्तिक मास में अष्टमी के दिन राधाकुंड का निर्माण राधारानी ने अपने कंगन से किया था और कृष्णकुंड का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बंसी द्वारा। मान्यता यह भी है कि अहोई अष्टमी की अर्धरात्रि को जो निसंतान दंपती हाथ पकड़ कर तीन डुबकी लगाते है और कुंड में पौंठो का फल लाल कपड़े में बांधकर दान करते है। उन्हें वर्ष भर में संतान की प्राप्ति होती है। राधाकुंड श्याम कुंड की मान्यता यह है कि दोनों कुंडों का जल एक दूसरे से मिले होने के बावजूद भी अलग-अलग रंग का है। राधारानी कुंड का जल सफेद जबकि भगवान श्याम सुंदर के कुंड के जल का रंग श्याम रंग का है। राधारानी का कुंड आयताकार है। भगवान श्याम सुंदर का कुंड भगवान के मुकुट जैसा आकार लिए है। इस मेले में श्रद्धालु दूर—दूर से आते हैं।
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