भगवान श्रीकृष्ण ने चार वर्ष की आयु में राधाकुंड के तट पर अपनी लीलाओं के मध्य राधाकुंड और श्यामकुंड का निर्माण किया था। पुराणों में लिखा है कि कार्तिक मास में अष्टमी के दिन राधाकुंड का निर्माण राधारानी ने अपने कंगन से किया था और कृष्णकुंड का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बंसी द्वारा। मान्यता यह भी है कि अहोई अष्टमी की अर्धरात्रि को जो निसंतान दंपती हाथ पकड़ कर तीन डुबकी लगाते है और कुंड में पौंठो का फल लाल कपड़े में बांधकर दान करते है। उन्हें वर्ष भर में संतान की प्राप्ति होती है। राधाकुंड श्याम कुंड की मान्यता यह है कि दोनों कुंडों का जल एक दूसरे से मिले होने के बावजूद भी अलग-अलग रंग का है। राधारानी कुंड का जल सफेद जबकि भगवान श्याम सुंदर के कुंड के जल का रंग श्याम रंग का है। राधारानी का कुंड आयताकार है। भगवान श्याम सुंदर का कुंड भगवान के मुकुट जैसा आकार लिए है। इस मेले में श्रद्धालु दूर—दूर से आते हैं।