यूं तो ताजमहल समेत सभी स्मारकों की 100 मीटर की परिधि में पटाखे फोड़ना मना है, लेकिन दीवाने नहीं मानते हैं। अबकी तो उत्तर प्रदेश में सरकार बदल गई है। इसलिए आशा की जा रही है कि आतिशबाजी की धूम कुछ अधिक ही होगी। भारतीय जनता पार्टी के नेता और ताजगंज निवासी अश्वनी वशिष्ठ बताते हैं कि हम कानून का पालन करने वाले लोग हैं, लेकिन दीपावली पर आतिशबाजी तो जमकर होगी। मेरा घर ताजमहल के पास ही है। यहां विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में रुकते हैं। वे भी हमारे साथ आतिशबाजी में भाग लेते हैं। ताजमहल के दखनाई गेट पर कुत्ता पार्क में यह दृश्य देखा जा सकता है। आतिशबाजी देखकर पर्यटक स्वयं खिंचे चले आते हैं। फुलझड़ी चलाकर रोमांचित होते हैं।
ताजमहल के निकट होटल चला रहे पर्यटन व्यवसायी संदीप अरोड़ा ने बताया कि पर्यटकों के लिए कोई विशेष आयोजन नहीं किया जा रहा है। हां, दीपावली पर हर ओर सजावट देखते ही बनती है। पर्यटकों को सलाह दे रहे हैं कि ताजमहल के साये में विद्युत सजावट देखें और ऐसा अवसर साल में एक बार ही आता है।
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के लागू होने के बाद पहली दीपावली है। अगर पर्यटन की दृष्टि से बात करें तो बहुत मंदा है। पर्यटक सुबह आकर शाम को प्रस्थान कर जाता है। होटलों मे प्रवास कम हो तो जाहिर है कि आय भी नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में होटलों में पर्यटकों के लिए दीपावली का जश्न नहीं हो रहा है। टूरिज्म गिल्ड आगरा के पूर्व अध्यक्ष अरुण डंग कहत हैं कि मंदी के दौर में फिलहाल तो स्वयं को बचाए रखना भी चुनौती साबित हो रही है। दीपावली पर कोई विशेष आयोजन नहीं है। हां, हम पर्यटकों को यह सलाह जरूर दे रहे हैं कि दीपावली पर रुकें और भारत की सामाजिक समरसता को देखें। दीपावली पर जान सकेंगे कि किस तरह लोग लक्ष्मी गणेश पूजन करते हैं। अपने घरों को सजाते हैं, ताकि धन की देवी लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास कर सकें।
आगरा टूरिज्म चैम्बर के अध्यक्ष प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया कि दीपावली पर सदर बाजार की जममग नयनाभिराम होती है। इसलिए पर्यटकों को सलाद ही गई है कि वे सदर बाजार में रात्रि की चमक जरूर देखें। उन्होंने कहा कि दुख इस बात का है इस बार छावनी परिषद ने दीवाली मेला लगाने की अनुमति नहीं दी है। अगर मेला लगता तो रौनक कुछ अलग ही होती।